इस मंदिर का सातवां द्वार है एक रहस्य, 16वीं सदी का ’सिद्ध पुरूष’ ही इसे खोल सकता है

भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक पद्मनाभस्वामी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। यह प्रमुख मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। केरल के तिरुवनन्तपुरम में स्थित इस अद्भुत मंदिर के दर्शन करने लोग देश-विदेश से आते हैं। मंदिर की विशालता व इसकी सुंदरता लोगों को आपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है। जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर श्यन मुद्रा में स्थापित हैं। श्री विष्णु का रहस्यमय मंदिर विश्वभर का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। मंदिर की तुलना स्विचज़रलैंड की संपत्ति के बराबर होती है। क्योंकि मंदिर की संपत्ति करीब 1,32,000 करोड़ के लगभग है।

padmanabh mandir

मंदिर का रहस्य और संपत्ति

मंदिर की रहस्यमय कहानियों के पीछे कई बड़े राज़ छुपे हैं जिन्हें जानकर सभी हैरान हो जाते हैं। मंदिर का उल्लेख ग्रंथों में भी आता है। श्री विष्णु का पद्मनाभ मंदिर 18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी दौलत पद्मनाभ मंदिर को सौंप दिया था और उसके बाद पूरे शाही परिवार ने खुद को भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया था। वर्तमान समय में पद्मनाभ मंदिर की देखरेख शाही परिवार के अधीनस्थ एक प्राइवेट ट्रस्ट करता है। लेकिन भारत के इस प्रसिद्ध मंदिर की संपत्ति और रहस्य को देखते हुए कई बार जनता ने मंदिर के द्वार खोलने की बात कई है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसके द्वार खोले भी गए हैं। अब तक मंदिर के 6 द्वार खोले गए हैं, जिनमें करीब 1,32,000 करोड़ की संपत्ति मिली है। परंतु मंदिर का सांतवा द्वार अब तक रहस्य का कारण बना हुआ है। पूरी दुनिया की नजरें इस द्वार पर टीकी हुई है। क्योंकि मंदिर का द्वार काफी रहस्यमय है लेकिन क्यों आइए आपको बताते हैं...

पद्मनाभ मंदिर के सांतवे द्वार को खोलने व उसके खजाने को खोलने की बात होती है, तो एक भय व अनहोनी की कहानी सामने आ जाती हैं। क्योंकि मंदिर के सांतवें द्वार पर कोई ताला नहीं लगा है ना ही को कुंड़ी लगी है। बल्कि सांपों के प्रतिबिंब ही इस द्वार की रक्षा करते हैं और इस गेट को खोलने के लिए किसी कुंजी की ज़रूरत नहीं पड़ती है, इसे मंत्रोच्चारण की मदद से ही खोल सकते हैं। यह एक गुप्त गृह है, जिसके द्वार को खोलने के लिए 16वीं सदी के सिद्ध पुरूष, योगी या फ़िर कोई तपस्वी की आवश्यकता है। गरुड़ मंत्र की मदद से ही इस द्वार को खोला जा सकता है। क्योंकि नियमों के अनुसार गरुड़ मंत्र का स्पष्ट तरीके से उच्चारण करने वाला सिद्ध पुरूष ही इस गेट को खोल पाएगा। अगर उच्चारण सही से नहीं किया गया, तो उसकी मृत्यु हो जाती है।

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मंदिर के सातवें द्वार के खुलने पर आ सकता है प्रलय

सातवें दरवाजे को खोलने के बारे में देश का उच्चतम न्यायालय फैसला करने वाला है। वहीं मंदिर के बारे में 90 वर्षीय त्रावणकोर राजपरिवार के प्रमुख तिरुनल मार्तंड वर्मा का कहना है की मंदिर के सातवें द्वार के खुलने का मतलब देश में प्रलय आना है। हमारी कोशिश है कि इसे रहस्य ही रहने दिया जाए। इस मंदिर से मिली संपत्ति को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वाकई यह काफ़ी रहस्यमयी मंदिर है। कई लोगों का मानना है कि सभी संपतियों को जनता की भलाई के कामों में लगा देना चाहिए, जो काफ़ी हद तक सही भी है।



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