हिन्दूस्तान को संस्कृति, पर्व और त्यौहारों के नाम से जाना जाता हैं, और हर राज्य में कुछ विशेष त्यौहार मनायें जाते हैं, केरल राज्य का सबसे प्रमुख और प्रचलित त्यौहार ओणम का त्यौहार हैं जिसे केरल के अलावा देश ही नहीं दूनियां में जहां जहां इससे जुड़े हुए लोग रहते हैं वे पूरे हर्षोल्लाष से मनाते हैं । कहा जाता हैं कि केरल राज्य में जब कई नई फसलें खेतों में पक कर तैयार हो जाती हैं, उसी की खुशी में 10 दिनों तक मनाया जाता हैं ओणम का त्यौहार ।
मलयालम सोलर के कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है, यह मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता जो, ज्यादातर हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितम्बर माह में आता हैं । जब थिरूवोनम नक्षत्र महीने में आता हैं उसी दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता हैं । थिरूवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहा जाता हैं ।
इस बार साल 2018 में ओणम 15 अगस्त दिन शुक्रवार से शुरू होकर 27 अगस्त दिन सोमवार तक चलेगा । 10 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार में थिरूवोनम का दिन सबसे महत्तवपूर्ण होता हैं जो 24 अगस्त 2018 दिन शुक्रवार को हैं ।
थिरूवोनम नक्षत्र तिथि शुरू - 24 अगस्त को सुबह 6 बजकर 48 मिनट
थिरूवोनम नक्षत्र तिथि खत्म - 25 अगस्त को सुबह 9 बजकर 49
ओणम त्योहार के 10 दिन
1- अथं- पहला दिन होता है, जब राजा महाबली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते है ।
2- चिथिरा- फूला कालीन जिसे पूक्क्लम कहते, बनाना शुरू करते हैं ।
3- चोधी- पूक्क्लम में 4-5 तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते है ।
4- विशाकम- इस दिन से तरह तरह की प्रतियोगितायें शुरू हो जाती है ।
5- अनिज्हम- इस दिन नाव की रेस की तैयारी होती है ।
6- थ्रिकेता- छुट्टिया शूरू हो जाती है ।
7- मूलम- इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा शुरू हो जाती है ।
8- पूरादम- इस दिन महाबली और वामन की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती हैं ।
9- उठ्रादोम- इस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते हैं ।
10- थिरूवोनम- यह मुख्य त्यौहार होता हैं ।
प्रचलित एक कथा के अनुसार राजा महाबली ने भगवान विष्णु से अपनी प्रजा से साल में केवल एक बार मिलने की अनुमति मांगी थी, और भगवान की अनुमति मिलने पर राजा महाबली अपनी को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं । इसलिए ओणम का त्यौहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है ।
इसलिए मनाते हैं ओणम
ओणम का अर्थ श्रावण होता हैं, इस त्यौहार को श्रावण माह में केरल राज्य में चाय, अदरक, इलायची, कालीमिर्च, धान जैसी फसलों के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता हैं, और इस त्यौहार में ख़ासतौर पर श्रावण के देवता तथा फूलों की देवी की पूजा की जाती हैं । 10 दिन तक मनाया जाने वाले इस त्यौहार में लोग अपने घरों को पुष्पों से सजाते है, एवं घर आंगन में फूलों की सुंदर सुंदर रंगोली बनाते है । महिलायें और किशोरियाँ इस दिन नाचने गाने में मस्त रहती हैं और पुरूष तैरने और नौका-दौड़ में शामिल होते हैं ।
इनकी होती हैं पूजा
केरल के लोग ओणम के त्यौहार को नाचते – गाते मानते हैं । इस दिन पूरे राज्य में शेर नृत्य, कुचीपुड़ी, गजनृत्य, कुमट्टी काली, पुलीकली तथा कथकली जैसे लोकनृत्य किये जाते हैं । ओणम के नौवें दिन ही शाम को घर में गणेश जी की मूर्ती और श्रावण देवता की मूर्ति स्थापित कर शुद्ध घी के दीपक जलाएं जाते हैं तथा एक विशेष प्रकार का भोग “पूवड” का भोग लगाया जाता हैं ।
64 प्रकार के बनते हैं पकवान
थिरुओनम ओणम त्यौहार का अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता हैं, इस दिन केरल राज्य के प्रत्येक घरों में पारम्परिक पकवान जैसे- चावल के आटे में विभिन्न प्रकार की सब्जियों को मिलाकर अवियल बनाया जाता है, केले का हलवा, नारियल की चटनी सहित पूरे 64 प्रकार के पकवान बनाएं जाते हैं । जिन्हें ओनसद्या कहा जाता है । इन सभी पकवानों को बनाने के बाद इन्हें केले के पत्तों पर परोस कर खाया जाता हैं ।
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