सभी के जीवन पर पितरों का गहरा प्रभाव पड़ता है, कहा जाता है की पितृ जिनसे नाराजा हो जाते है वे लोग अनेक समस्याओं में घिर जाते है, जैसे, स्वयं का घर न बनना, संतान सुख से वंचित, नौकरी, विवाह, पितृदोष आदि । अगर पितृपक्ष में कभी भी या अमावस्या के दिन इनके निवारण के लिए इस पूजा को श्रद्धा पूर्वक समपन्न की जाए तो सारे दोष दूर हो जाते हैं ।
पितृ दोष निवारण पूजा
श्राद्ध पक्ष की तिथियों में लोग अपने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते है, तर्पण का अर्थ होता है की हम अपने पितरों को भूले नहीं है और वे हमारे लिए सदैव पूजनीय है, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली मे पितृ दोष है तो ऐसे व्यक्ति को हर क्षेत्र में असफलता ही मिलती है, और ऐसे लोगों को जीवन में अनेक कष्ट भोगने पड़ते है, ख़ास कर संतान से सम्बंधित दिक्कते और धन से सम्बंधित दिक्कते भी बनी रहती है । ऐसी मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है इससे मुक्ति पाने का सबसे आसान उपाय पितरों का श्राद्ध कराना है और इसी के साथ अगर आप अपने घर में पितृ दोष निवारण पूजा कराते है तो पितृ दोष से श्रापित जीवन से जल्दी ही मुक्ति मिलती है । इस पूजा को पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन कराने से सभी भी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है ।
पितृ दोष निवारण पूजा का प्रभाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे पितृ दोष निवारण पूजा करने से अवश्य ही लाभ होगा । पितृ दोष के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए ही यह पूजा की जाती है । यह पूजा करने से व्यक्ति के मन में अध्यात्म के प्रति रूचि बढ़ती है और उसे आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है । इस पितृ दोष निवारण पूजा के प्रभाव से जीवन की सारी बाधाएं और मुश्किलें दूर होती हैं । संतानहीन जातकों को पितृ दोष निवारण पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है । गृहस्थ जीवन और कामकाज में आ रही सभी समस्याओ से मुक्ति मिलती है और घर में धन-धान्य और सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है । पितृ दोष की शांति के लिए अपने पितरों को याद करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें ।
पितृ दोष पूजा पूजन सामग्री
अक्षत, (चावल) रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी, गुलाबी कपड़ा, धूप, फूल पान के पत्ते, पूजा सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते और पांच प्रकार की मिठाई ।
इस समय करें पूजन
इस पूजा को पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि को ही करना हैं, अलावा पितृ पक्ष के दौरान किसी भी दिन की जा सकती हैं । इस पूजा को दोपहर के समय करने से अधिक लाभ प्राप्त होता हैं ।
इस पूजन के लाभ
इस पूजा को कराने से अनेक महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं । संतान की प्राप्ति होती है तथा इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं । शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं । सबसे बड़ा लाभ यह होता हैं कि पितृ दोष से मुक्ति मिलने के साथ आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
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