अपने पूर्वज पितरों को याद करने, उनके निमित्त श्रद्धा भाव व्यक्त करने और उनको प्रसन्न करने के लिए ही पितृपक्ष का महापर्व साल में एक बार आता हैं, और इसमें लगभग हर कोई पितरों को प्रसन्न करने हेतु प्रयास भी करते है, जैसे श्राद्ध तर्पण आदि के माध्यम से पितरों को याद करते हैं । कहा जाता हैं कि हम जीवन में जो भी उन्नति करते है वो सब पितरों की कृपा और आशीर्वाद से ही संभव हो पता हैं । अगर पितर पक्ष कुछ छोटे छोटे उपायों को किया जाये तो पितृ दोष जैसी परेशानी भी पितरों के आशीर्वाद से दूर हो जाती हैं ।
1- पितृ पक्ष में पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक शाम को एक सरसों के तेल, या गाय के घी का दीपक दक्षिण मुखी लौ करके जलाये ।
2- पितृ पक्ष में प्रतिदिन पितरों के निमित्त तर्पण करे या किसी ब्राह्मण से करवायें ।
3- पितृ पक्ष में प्रतिदिन पितृ सूक्त के पितृ गायत्री का संपुट लगाकर के अधिक से अधिक पाठ करे या करवाये वैसे 11000 पाठ में अनुष्ठान की पूर्णता होती है ।
4- पितृ पक्ष में प्रतिदिन पितृ गायत्री मंत्र का जप अवश्य करें । पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी ।
5- प्रत्येक श्राद्ध वाले दिन यथाशक्ति ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराये और यथाचित दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें ।
6- प्रत्येक श्राद्ध वाले दिन गाय, कुत्ते, चीटियों, और कौआ को भी भोजन प्रदान करना चाहिए ।
7- पितृ पक्ष में पितरों की अनुकूलता पाने हेतु श्री मद्भागवत महापुराण का मूल पाठ तथा श्रीमद्भगवद गीता का पाठ आदि भी किये या किये जा सकते है ।
8- पितृ पक्ष में पितरों की कृपा पाने के लिए ब्रह्म गायत्री मंत्र का भी जप अनुष्ठान किया जा सकता है ।
9- सर्व पितृ आमावस्या के दिन ब्राह्मणों, या गरीबों को भोजन कराने से पितृ पक्ष में भूलवश कोई श्राद्ध करने से छूट गया हो तो उसकी पूर्ति अमावस्या को हो जाती है ।
10- पितरों की प्रसन्नता के लिए प्रत्येक महीने की अमावस्या तिथि को सरसों के तेल का दीपक सूर्यास्त के समय दक्षिण मुखी जलाना चाहिए ।
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