दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस का पर्व भी उल्लास के मनाया जाता हैं, लोग खुशियां जाहिर करने के लिए फुलझड़ी-पटाखे तो जलाते है लेकिन इनका सुख केवल क्षणिक होता हैं । असली सुख तो है नीरोग काया में है जिस पाने के बाद ही किसी अन्य सुख का आनंद लिया जा सकता है । लेकिन धनतेरस के दिन ज्यादातर लोग सोना-चांदी, धन-वैभव अपने घर लाने में ज्यादा तत्परता दिखाते हैं और सेहत को भूल जाते ही है, लेकिन शास्त्रों के मुताबिक इस दिन इस एक लेकिन अद्भूत काम को करने से व्यक्ति को लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान देते हैं भगवान धनवंतरी । वैसे इस दिन होना तो यह चाहिए कि आरोग्य के देवता धन्वंतरी की पूजा-अर्चना के साथ दैनिक जीवन में संयम-नियम आदि का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए । इस साल 5 नवंबर को है धनतेरस का त्यौहार ।
मिलेंगी लक्ष्मी
जिस प्रकार देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं, उसी प्रकार भगवान धन्वंतरी भी अमृत कलश के साथ समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए हैं । माता लक्ष्मी जी तो धन देवी कही जाती हैं, और अगर लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य और लम्बी आयु होने सबसे ज्यादा जरूरी माना जाता हैं, इसलिए अगर माँ लक्ष्मी से लंबी आयु एवं अपार धन का वरदान चाहिए तो धनतेरस के दिन अपने घर, आंगन, या अन्य व्यापार केंद्र को दीपकों से जरूर सजाएं , और धनतेर से लेकर दीपावली तक रोज दीपामालाएं सजाते रहे । ऐसा करने पर भगवान धनवंतरी की कृपा से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य एवं लंबी का वरदान देते हैं ।
धनतेरस के दिन धन्वंतरी जी का हुआ था जन्म
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही भगवान श्री धन्वंतरी जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है । धन्वंतरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था, भगवान धन्वंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा भी है । कहीं-कहीं लोक मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन खरीददारी करने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है । इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं और दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने खेतों में बोते हैं ।
भगवान धन्वंतरी
भगवान धन्वंतरी को हिन्दू धर्म में देवताओं का वैद्य माना जाता है । ये एक महान चिकित्सक थे, जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ. हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं । लोक के लिए समुद्र मंथन से त्रयोदशी तिथि को धन्वंतरी, चतुर्दशी तिथि को काली माता और अमावस्या के दिन भगवती माता महालक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव हुआ था, इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है ।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन नए उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना अधिक शुभ होता है । इस दिन शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्य गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है । धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है ।
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