यहां महालक्ष्मी के चरणों में उतर आती है सूरज की किरणें, यह चमत्कार देखने आते हैं दूर-दूर से लोग

दिवाली का त्यौहार पर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। इस पर्व को सुख-समृद्धि से जुड़ा पर्व माना जाता है और देवी महालक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा जाता है। दिवाली के दिन इनकी पूजा कर आशीर्वाद लेने का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसलिए दीपावली के दिन लोग महालक्ष्मी के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं। तो हम आज आपको महालक्ष्मी का ऐसा मंदिर बता रहे हैं जहां दिवाली के दिन दर्शन करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है की यहां सूर्य देवता स्वयं देवी लक्ष्मी के चरणों में अभिषेक करते हैं। महालक्ष्मी का यह प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। बताया जाता है कि महालक्ष्मी का यह मंदिर 1800 साल पुराना है औरमंदिर में स्‍थापित मां लक्ष्मी की प्रतिमा लगभग 7,000 साल पुरानी है।

mahalaxmi kolhapur

चालुक्य वंश के राजा ने करवाया था मंदिर का निर्माण

तथ्यों के अनुसार महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्‍दी में चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने करवाया था। मंदिर में महालक्ष्मी की मूर्ति के अलावा नवग्रहों सहित, भगवान सूर्य, महिषासुर मर्दिनी, विट्टल रखमाई, शिवजी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि अनेक देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है। इन देवी देवताओं की प्रतिमाओं में से कुछ तो 11 वीं सदी की भी बताई जाती हैं। इसके अलावा मंदिर के आंगन में मणिकर्णिका कुंड पर विश्वेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित है।

 

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करीब 3 फीट ऊंची है महालक्ष्मी की प्रतिमा

मंदिर में स्थापित लक्ष्मी जी की प्रतिमा करीब 3 फीट ऊंची है। काले पत्थर से निर्मित प्रतिमा अत्‍यंत भव्‍य और प्रभावशाली है। जिसे देख लोग भाव-विभोर हो उठते हैं। यहां महालक्ष्मी मंदिर पश्चिम दिशा की ओर मुख करे हुए स्‍थापित हैं। देवी के सामने की पश्चिमी दीवार पर एक छोटी सी खुली खिड़की है, जिससे होकर सूरज की किरणें देवी लक्ष्मी का पद अभिषेक करते मध्य भाग पर आती हैं और अंत में उनका मुखमंडल को रोशन करती हैं।

यहां देवी महालक्ष्मीजी की चार हस्थों वाली प्रतिमा, सिर पर मुकुट पहने हुए स्‍थापित है। माता की प्रतिमा को बहुमूल्‍य गहनों से सजाया गया है। उनका मुकुट भी लगभग 40 किलो वजन का है जो बहुत ही कीमती रत्‍नों से मड़ा हुआ है। मंदिर की एक दीवार पर श्री यंत्र पत्थर पर उकेरा गया है। देवी की मूर्ति के पीछे पत्‍थर से बनी उनके वाहन शेर की प्रतिमा भी मौजूद है। वहीं देवी के मुकुट में भगवान विष्णु के प्रिय सर्प शेषनाग का चित्र बना हुआ है। देवी महालक्ष्मी ने अपने चारों हाथों में अमूल्य प्रतीक चिन्‍ह थामे हुए हैं, जैसे उनके निचले दाहिने हाथ में निम्बू फल, ऊपरी दायें हाथ में गदा कौमोदकी है जिसका सिरा नीचे जमीन पर टिका हुआ है। ऊपरी बायें हाथ में एक ढ़ाल और निचले बायें हाथ में एक पानपात्र है।



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