कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में भगवान शिवजी एवं भगवान विष्णुजी के पूजन और पितृ तर्पण का विशेष दिन माना जाता है । इस साल 2018 में बैकुंठ चतुर्दशी का यह पर्व बुधवार, 21 नवंबर 2018 को मनाया जायेगा । अगर श्रद्धा पूर्वक उपवास रखकर इस दिन शुभ महूर्त में श्री विष्णु जी एवं श्री शिवजी का पूजन करने वाले भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति हो जाती हैं । इसी दिन पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान श्री विष्णुजी एवं शिवजी का विशेष षोडषोपचार पूजन करने का विधान है ।
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूजन में विशेष रूप से जल, कमल के स्वेत पुष्प, केसर, चंदन का इत्र, गाय का दूध, मिश्री एवं दही से पूजन व अभिषेक करके गाय के घी में केसर मिलाकर दीप प्रज्ज्वलित करके, चंदन की अगरबत्ती से पूजा करने का विधान हैं । भगवान श्री विष्णु जी को मखाने की खीर का भोग लगाकर, विष्णुजी एवं शिवजी के बीज मंत्रों की 1 - 1 माला का जप करने के बाद, भोग लगाई हुए खीर को गाय माता को खिलाना देना चाहिए ।
ये पूजन का सही शुभ मुहूर्त
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन निशिथ काल में पूजन करना बहुत लाभदायी माना गया है ।
पूजन का शुभ समय- रात्रि में 8 बजकर 30 मिनट से रात्रि 12 बजकर 28 मिनट तक के अतिशुभ समय में पूजा करने से अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती हैं । पूजा करने के साथ इस मंत्र- ॐ ह्रीं ॐ हरिणाक्षाय नमः शिवाय का 1000 बार जब करना अतिलाभदायी माना गया हैं । भगवान श्री विष्णु व शिवजी के पूजन के साथ-साथ सप्त ऋषियों के नामों की पूजा एवं नाम जप करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति होकर उन्हें सुख-समृद्धि, आरोग्य तथा अंत में सभी सुखों को भोगकर बैंकुंठ की प्राप्ति होती है ।
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