दीपावली के दिन लोग घरों में तो पूजा करते ही हैं लेकिन इस दिन महालक्ष्मी के मंदिरों में भी जाकर मां से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद लेने जाते हैं। माता लक्ष्मी का मंदिर दीपावली पर्व पर बहुत ही खूबसूरती से सजाया जाता है। देशभर में महालक्ष्मी के चार प्रसिद्ध मंदिर है। इन्हीं मंदिरों में से एक है देवी पद्मावती का मंदिर। देवी पद्मावती का बहुप्रसिद्ध मंदिर तिरुपति के पास तिरुचुरा नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। पद्मावती का यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की देवी पद्मावती की शरण में जाने से व्यक्ति के सभी पाप घुल और मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है। पद्मावती मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि तिरुपति बालाजी के मंदिर में मांगी हुई मुराद तब पूरी होती है जब दर्शन करने आए भक्त बालाजी के साथ-साथ देवी पद्मावती का आशीर्वाद भी ले लें।
मंदिर में स्थापित है देवी लक्ष्मी की प्रतिमा
मंदिर में स्थापित देवी पद्मावती की चांदी की विशाल प्रतिमा कमल के आसन पर विराजमान है और माता के दोनों हाथों में कमल के फूल सुसज्जित हैं। एक पुष्प अभय का प्रतीक है तो दूसरा पुष्प वरदान का। मंदिर में देवी का श्रृंगार सोने से किया गया है। मान्यता के अनुसार देवी पद्मावती के बारे में कहा जाता है कि 12 साल तक पाताल लोक में वास करने के बाद 13 वें साल में देवी मां कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को धरती पर अवतरित हुई।
मंदिर प्रांगण में देवी लक्ष्मी की मूर्ति के अलावा कई देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए है। देवी पद्मावती के अलावा यहाँ कृष्ण-बलराम, सुंदरराजा स्वामी और सूर्य नारायण मंदिर भी काफी महत्वपूर्ण हैं। लेकिन प्रभु व्यंकटेश की पत्नी होने के कारण देवी पद्मावती का मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
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