सर्वप्रथम हेमंत ऋतु में मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी से इस व्रत को प्रारंभ किया जाता है। दशमी को सायंकाल भोजन के बाद अच्छी प्रकार से दातून करें ताकि अन्न का अंश मुंह में रह न जाए। रात्रि को भोजन कदापि न करें, न अधिक बोलें।
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हजार यज्ञों से भी अधिक फल देती है उत्पन्ना एकादशी, जानिए व्रत का महात्म्य
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