श्रीकृष्ण भगवान, विष्णु नहीं बल्कि इस देवी के अवतार थे.. जानकार हो जायेंगे..

हमारे धर्म शास्त्रों, वेद पुराणों में उल्लेख आता हैं कि धरती का उद्धार करने एवं मनुष्यों को सहीं रास्ता दिखाने के लिए परम पिता परमात्मा मानव का रूप धारण कर धरती आते रहे हैं, और भविष्य में भी किसी न किसी रूप में आते ही रहेंगे । अवतारों एक अवतार भगवान श्रीकृष्ण एवं श्री राधा जी की भी हैं, जिन्होंने द्वापरयुग में जन्म लेकर धरती और मनुष्य का उद्धार किया था, और आज भी दोनों की आराधना में लाखों भक्त लीन रहते हैं, उनकों अपना आदर्श मानते हैं । सभी लोग यह जानते हैं कि श्रीकृष्ण और श्रीराधा जी भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी के अवतार है थे । लेकिन देवी पुराण में के अनुसार ये दोनों विष्णु-लक्ष्मी नहीं बल्कि इस भगवान के अवतार थे, और इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे ।

 

देवी पुराण में बताया गया हैं कि भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु भगवान के अवतार नहीं थे, और देवी राधा जी भी माता लक्ष्मी की अवतार नहीं थी । देवी पुराण में स्पष्ट रूप से लिखा गया हैं कि श्रीकृष्ण जी मां महाकाली के अवतार थे, और देवी राधा जी स्वंय भगवान महादेव शिवशंकर का अवतार थी । देवी पुराण के अनुसार धरती से अधर्म और असुरों के नाश के लिए द्वापरयुग में महाकाली माता ने श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से जन्म लिया था । देवी पुराण में लिखा गया हैं कि भगवान महादेव शिवशंकर जी ने वृषभानु की पुत्री श्री राधा जी के रूप में जन्म लिया था ।

 

देवी पुराण में यह भी लिखा गया हैं कि भगवान श्री विष्णु जी ने बलराम तथा अर्जुन के रूप में अवतार लिया था । देवी पुराण के अनुसार जब पांडव वनवास के दौरान कामाख्य शक्तिपीठ पहुंचे तो वहां उन्होंने तप किया था और उनके तप से प्रसन्न होकर माता महाकाली प्रकट हुई और उन्होंने पांडवों से कहा कि मैं श्रीकृष्ण के रूप जन्म लेकर तुम्हारी सहायता करूंगी तथा कौरवों का विनाश करके धर्म की स्थापना करूंगी । देवीपुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध भी मां काली के रूप में ही किया था ।



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