दीपावली पर्व 7 नवंबर 2018 दिन बुधवार को शुभ पूजा मुहूर्त में इन मंत्रों से माता महालक्ष्मी की पूजा के दौरान इन मंत्रों के साथ ये पदार्थ चढ़ाने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं । साथ लाल चन्दन की माला हमेशा साथ रहती हैं माता ।
1- इस मंत्र के द्वारा माता लक्ष्मी का हाथ जोड़कर श्रद्धापूर्वक आवाहन करें ।
सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम ।
सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम् ।।
ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।।
2- माँ लक्ष्मी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा माता को दुर्वा चढ़ावें ।
क्षीरसागरसम्भते दूर्वां स्वीकुरू सर्वदा ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः दूर्वां समर्पयामि ।।
3- इस मंत्र के द्वारा सफेद चावल माँ लक्ष्मी को चढ़ावें ।
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, अक्षतान समर्पयामि ।।
4- इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को कमल या गुलाब के फूलों की माला चढ़ावें ।
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, पुष्पमालां समर्पयामि ।।
5- इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को कुछ आभूषण चढ़ावें ।
त्नकंकणवैदूर्यमुक्ताहाअरादिकानि च ।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भोः ।।
ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धि च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, आभूषण समर्पयामि ।।
6- इस मंत्र के द्वारा माता लक्ष्मी को लाल व गुलाबी वस्त्र चढ़ावें ।
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।
ॐ उपैतु मां देवसुखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोस्मि राष्ट्रेस्मिन कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।।
7- इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को स्नान के भाव से गाय का घी चढ़ावें ।
ॐ घृतं घृतपावानः पिबत वसां वसापावानः पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा ।
दिशः प्रदिश आदिशो विदिश उद्धिशो दिग्भ्यः स्वाहा ।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, घृतस्नानं समर्पयामि ।
8- पूजा में इस मंत्र के द्वारा माता को शुद्ध जल चढ़ावें ।
मन्दाकिन्याः समानीतैर्हेमाम्भोरूहवासितैः ।
स्नानं कुरूष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभिः ।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि ।
9- इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आसन के रूप में कमल पुष्प चढ़ावें ।
तप्तकाश्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम् ।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ।।
ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
10- लाल चंदन एवं लाल चंदन की माला इस को बोलते हुए चढ़ावें ।
रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम् ।
मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, रक्तचन्दनं समर्पयामि ।।
।।। इति समाप्त ।।।
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