22 दिसंबर 2018 दिन शनिवार के दिन मार्गशीर्ष महीना की पूर्णिमा तिथि को त्रिदेवों के अंश भगवान श्री दत्तात्रेय की जयंती मनाई जायेगी । कहा जाता है कि मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि के दिन ही त्रिदेवों के अंश के रूप में भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था । कोका स्वरूप माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय जी ईश्वर एवं गुरु दोनों रूप पूजे जाते हैं । जाने दत्तात्रेय जयंती का महत्व एवं उनके 24 गुरुओं के बारे में ।
दत्तात्रेय के दर्शन से होती हैं मनोकामनां पूरी
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख आता हैं की भगवान श्री दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को प्रदोषकाल में त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश के रूप में हुआ था । श्रीमदभगवत के अनुसार भगवान दत्तात्रेय ने चौबीस गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी । ऐसी मान्यता हैं की मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय का व्रत रखकर दत्तात्रेय के बालरुप का पूजन करने, उनके दर्शन मात्र से व्यक्ति की अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर, और छ: भुजाएं हैं ।
पूजा विधि
1- इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करके व्रत रखने हर मनोकामनां पूरी है ।
2- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने पुण्यफल मिलता हैं ।
3- भगवान दत्तात्रेय का पूजन गुरु दत्ता देव के नाम से भी किया जाता है ।
4- धुप, दीप, चन्दन, हल्दी, मिठाई, फल, फूल से पूजन करने का विधान हैं ।
5- भगवान दत्तात्रेय का पूजन करने के बाद 7 बार परिक्रमा करते हुए उनके मंत्र- ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय नमः का जप करने से जीवन के सभी अभाव दूर हो जाते हैं ।
इन 24 गुरुओं से प्राप्त की थी शिक्षा
1- कबूतर
2- मधुमक्खी
3- कुररी पक्षी कुररी पक्षी (पानी के निकट रहने वाले स्लेटी रंग के पक्षी हैं ।
4- भृंगी कीड़ा
5- पतंगा
6- भौंरा
7- रेशम का कीड़ा
8- मकड़ी
9- हाथी
10- हिरण
11- मछली
12- सांप
13- अजगर
14- बालक
15- पिंगला वेश्या
16- कुमारी कन्या
17- तीर बनाने वाला
18- आकाश-पृथ्वी
19- जल
20- सूर्य
21- वायु
22- समुद्र
23- आग
24- चन्द्रमा
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