दिसंबर की इस तिथि से एक माह तक सूर्य रहेगा मलिन, खरमास में नहीं होंगे कोई भी शुभ मांगलिक कार्य

हिन्दू घर्म शास्त्रों के अनुसार जब भी सूर्य गुरू की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करता हैं, उस अवधी को खरमास या खलमास भी कहा जाता हैं, और जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता हैं तो उसे धनु सक्रांति भी कहा जाता हैं । ज्योतिषों के अनुसार इस एक माह की अवधी में कोई भी शुभ मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है । साल 2018 के अंतिम माह में 16 दिसंबर 2018 से खलमाल शुरू होगा जो आगामी नये वर्ष में 14 जनवरी 2019 तक नहीं रहेगा । जाने खलमास के महत्व एवं नियम ।

 

ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि- इस बार खरमास का 18 दिसंबर 2018 दिन रविवार को सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास या मलमास प्रारंभ हो जाएगा, जो पूरे एक माह तक धनु में रहेगा और इस अवधी में यानी की खरमास में कोई भी शुभ मांगलिग धार्मिक आयोजन नहीं होंगे जैसे- विवाह, नये घर में गृह प्रवेश, नये वाहन की खरीदी, संपत्तियों का क्रय विक्रय करना, मुंडन संस्कार जैसे अनेक शुभ कार्यों को इस एक माह तक नहीं किया जायेगा । यह खरमास 14 जनवरी 2019 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही समाप्त हो जाएगा ।

 


पं. तिवारी के अनुसार जब सूर्य गुरु की राशि धनु एवं मीन राशि में प्रवेश करता हैं तो इससे गुरु का प्रभाव समाप्त हो जाता है, और शुभ मांगलिक कार्यों को करने के लिए गुरु का पूर्ण बली अवस्था में होना आवश्यक है । कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य मलिन अवस्था में रहता है, इसलिए इस एक माह की अवधी में किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य नहीं किये जाते । खासकर इस समय विवाह संस्कार तो बिलकुल नहीं किए जाते हैं क्योंकि विवाह के लिए सूर्य और गुरु दोनों को मजबूत होना चाहिए ।

 

शास्त्रों के अनुसार खरमास के प्रतिनिधि आराध्य देव भगवान श्री विष्णुजी माने जाते हैं । इसलिए कहा जाता हैं कि इस खरमास, मलमास में भगवान श्रीविष्णु की पूजा नियमित रूप से करने से अनंत कोटि पुण्य फल की प्राप्ति भी होती हैं, एवं खरमास में आने वाली दोनों एकादशियों में व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है ।

 

खरमास का समापन 14 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति पर्व होगा । इस सूर्य पूरे एक माह बाद मकर राशि के प्रवेश करेगा जिसे मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है । मकर सक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान करने का भी विधान हैं, इस दिन से उत्तरायण प्रारंभ होता है जिसे देवताओं का दिन कहा गया हैं और इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जायेंगे हैं ।



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