हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी आती हैं जिसे षटतिला एकादशी कहा जाता हैं, ऐसी शास्त्रोक्त मान्यता हैं कि इस दिन उपवास रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । इस दिन का व्रत तिलों से जुडा हुआ है, तिल का महत्व तो सर्वव्यापक है और ***** धर्म में यह बहुत पवित्र माने जाते हैं । षट्तिला एकादशी के दिन तिलों का छ: प्रकार से उपयोग किया जाता है, जिसमें स्नान के जल में तिल डालकर स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना और तिलों का दान करना आदि इसी कारण यह षटतिला एकादशी कही जाती है । इस दिन तिल का दान करने वाले को स्वर्गलोक में स्थान में प्राप्त होता है ।
ऐसे करें षटतिला एकादशी का व्रत
1- षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके धुले हुये पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए, एवं जल में तिल डालकर स्नान करें ।
2- इस दिन प्याज लहसुन और तामसिक भोजन का प्रयोग बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
3- इस दिन सुबह और शाम दोनों समय एकादशी पर घर में पूजा पाठ करना चाहिए । साथ ही एक पीले आसन पर बैठकर नारायण कवच का 3 बार पाठ करने से मन की इच्छा जरूर पूरी होती है ।
4- षटतिला एकादशी वाले दिन कुशा के आसन पर बैठकर- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कम से कम 251 बार करना चाहिए ।
5- षटतिला व्रत में झूठ नहीं बोलना चाहिए बड़ों का निरादर नहीं करना चाहिए, काम क्रोध लोभ मोह अहंकार आदि का त्याग कर भगवान की शरण में जाना चाहिए ।
6- षटतिला एकादशी पर तिलों का प्रयोग करके भगवान विष्णु का पूजन करने से अनेक प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।
7- षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले तिल का उबटन भी लगाने का विधान हैं ।
8- पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पांच मुट्ठी तिलों से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की आहुति यज्ञ में देना चाहिए ।
9- इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके अपने पितरों के लिए तिल से तर्पण करना चाहिए ।
10- रात में सोते समय अपने बिस्तर में तिल जरूर डाल कर सोना चाहिए ।
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