इस योग का प्रभाव मरने के बाद भी रहता हैं... जीवित रहते हुये इसके कारण व्यक्ति परेशान ही रहता हैं

ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कालसर्प के अलावा एक ऐसा योग भी है जो किसी की कुंडली में बन जाये तो वह व्यक्ति जीवित रहते हुये तो जीवन भर परेशान रहता है लेकिन मरने के बाद भी उसकी परेशानी खत्म नहीं हो पाती, उसकी आत्मा भटकते ही रहती है । अगर इस योग के बारे पता चल जाये तो इसका निवारण किया जा सकता हैं, और इससे होने परेशानियां खत्म की जा सकती हैं । जाने आखिर वह कौन सा योग हैं जो कालसर्प योग से भी अधिक घातक योग कहा जाता हैं ।

 

पं. अरविंद तिवारी ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया की कालसर्प दोष से भी घातक योग दोष योग होता है, और राहु ग्रह का संबंध नाग से है, राहु के प्रभाव से उत्‍पन्‍न होने वाले दुर्योगों को ही नाग दोष कहा जाता है । जब कुंडली में राहु और केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विद्यमान हो तो ऐसी स्थिति में नाग दोष बनता है । कुंडली में इस दोष के बल तथा स्थिति के आधार पर ही व्यक्ति को कष्ट और इसके अशुभ फल मिलते है ।

 

नागदोष एवं कालसर्प दोष में अंतर
अधिकतर लोगों में यह भ्रम बना रहता है कि नागदोष एवं कालसर्प दोष दोनों ही एक समान है, लेकिन यह सत्‍य नहीं है । जहां कालसर्प दोष वंशानुगत होता है, और नागदोष का प्रभाव तो इतना होता हैं कि व्यक्ति की मृत्‍यु के बाद भी प्रभावकारी रहता है, उसकी आत्मा भटकती ही रहती हैं । लेकिन ज्योतिष के अनुसार नागदोष का निवारण संभव हैं । कुंडली में सात ग्रहों का राहु या केतु के साथ युति होने पर कालसर्प दोष बनता है तो वहीं दूसरी ओर पहले, दूसरे, पांचवें, सातवें और आठवें घर में राहु-केतु के प्रवेश पर नाग दोष बनता है ।

naag dosh

इस कारण बनता है नागदोष योग
1- मृत्यु के बाद देह संस्‍कार में देरी या फिर किसी अपरिचित के द्वारा अंतिम संस्‍कार होने के कारण अगले जन्म में नागदोष योग लगता है ।
2- जिसके जब शरीर के सभी अंगों का एकसाथ दाह संस्‍कार न होना या दुर्घटना, आत्‍महत्‍या या ज़हर खाने के कारण हुई मौत वाले को भी अगले जन्म में नागदोष योग लगता है ।
3- अपने पूर्वर्जों द्वारा किसी अजन्‍में बच्‍चे की हत्‍या एवं काला जादू करने पर होने वाली मौत वाले को भी अगले जन्म में नागदोष योग लगता है ।

 

 

नागदोष योग निवारण के अचूक उपाय
1- नाग दोष के प्रभाव को कम करने के लिए षष्‍टी तिथि के दिन सर्प परिहार पूजा करें एवं पूजा के बाद गंगाजल व गौमूत्र मिले जल से स्नान करें ।
2- हर दिन शिवलिंग पर दूध और जल से 108 बार 'ऊं नम: शिवाय: मंत्र का उच्चारण करते हुये अभिषेक करें ।
3- नागदोष निवारण मंत्र' का प्रत्येक सोमवार को एक हजार जप चंदन की माला से करें एवं माथे पर चंदन का तिलक लगाएं ।
3- 11 मंगलवार और 11 शनिवार के दिन शेषनाग की पूजा करें ।
4- अपने घर एवं अपनी जेब में एक मोर पंख जरूर रखें ।


5- सोमवार के दिन पंच धातु की अंगूठी धारण करें ।
6- अगर विवाहित हो तो हर बुधवार को गरीबों एवं जरूरतमंद व्‍यक्‍ति को दाल का दान करें ।
7- भोजन से पूर्व घर परिवार के सभी सदस्‍य पूजा जरूर करें ।
8- इन उपायों के प्रभाव से नागदोष योग का कुप्रभाव खत्म होने लगता हैं, और नागदोष से पीड़ित व्यक्ति की परेशानियां भी धीरे धीरे दूर हो जाती हैं ।



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