मकर संक्रांति पर किये इस उपाय और मंत्र जप का फल कभी खाली नहीं जाता, पढ़े पूरी खबर

पूरे देश में अलग अलग तरीके से मकर संक्रांति के दिन सूर्य उपासना की जाती हैं । इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू होते हैं, और इसके बाद से धरती के उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु की ठंडक में कमी आनी शुरू होती है । प्रायः हर साल 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए तिथि को मकर संक्रांति कहते हैं । पूरे भारतवर्ष में ये मनाया जाता है, लेकिन सब जगह मनाने का तरीका और नाम अलग अलग होता है।

 

1- मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले पानी में तिल या तिल का तेल डालकर स्नान करना चाहिए ।
2- इस दिन यज्ञ करें जिसमें 11 गायत्री महामन्त्र, 11 सूर्य गायत्री मन्त्र और 5 महामृत्युंजय मन्त्र से तिल और गुड़ की आहुति दें ।


3- यदि यज्ञ की व्यवस्था न हो तो गैस जला कर उस पर तवा रख कर गर्म करें, फ़िर मन्त्र पढ़ते हुए यज्ञ की आहुति तवे पर डाल दें । यज्ञ के बाद गैस बन्द कर दें और उस यज्ञ प्रसाद को तुलसी या किसी पौधे के गमले में डाल दें ।
4- 21 बार सूर्य गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं ।


5- मकर संक्रांति के दिन पीला या श्वेत वस्त्र अवश्य पहनें ।
6- आहार में पहला नाश्ता दिन में तिल और गुड़ का प्रसाद लें । इस दिन घर में खिचड़ी चावल और उड़द की दाल की बना भोजन करना अत्यधिक शुभ माना जाता हैं ।


7- इस दिन यदि सम्भव हो तो सुबह गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर कमर तक जल के बीच में खड़े हो सूर्यदेव को तांबे के पात्र में जल, तिल-गुड़ मिलाकर अर्घ्य अवश्य दें ।

 

नीचे दिये मंत्रों की मकर संक्रांति के दिन कम से कम एक-एक माला का जप अवश्य करें ।


1- सूर्य गायत्री मन्त्र- ॐ भाष्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।
2- गायत्री महामन्त्र- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ।।
3- महामृत्युंजय मन्त्र- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।



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