शुक्रवार के दिन इस काम को करते ही, प्रकट हो जाती हैं ये देवी, देती है यह वरदान

शुक्रवार का दिन हर तरह की मनोकानाओं की पूर्ति वाला दिन माना जाता हैं । इस दो देवियों की आराधना करने का विधान हैं, एक तो धन वैभव की देवी मां लक्ष्मी और दूसरी हैं मां सतोषी । कहा जाता हैं कि जो कोई भी शुक्रवार के दिन संतोषी माता के निमित्त उपवास रखकर संतोषी माता के सामने इस काम को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करता हैं उसकी सारी मनोकामनाएं मां संतोषी कुछ ही दिनों में पूरी कर देती हैं । जाने शुक्रवार के दिन ऐसा क्या किया जाये की मां शीघ्र प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दे सके ।

 

1- सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं । घर के ही किसी पवित्र स्थान पर संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें ।

2- संपूर्ण पूजन सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें । जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें ।


3- संतोषी माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद माता संतोषी की यह नीचे दी गई स्तुति को श्रद्धा पूर्वक करें ।

4- स्तुति करते वक्त घी का दीपक एवं कपूर एक थाल में जलते रहना चाहिए ।


5- माता की स्तुति पूरी होने के बाद सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें । एवं स्वयं भी ग्रहण करें ।

6- अंत में पात्र के जल को पूरे घर में माता का नाम लेते हुये छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें ।

7- शुक्रवार के दिन उपवास रखे एवं इस दिन खट्टी चीजों का सेवन न करे और ना ही स्पर्श करें ।

 

इस स्तुति को करने से प्रसन्न हो जाती हैं मां संतोषी
।। संतोषी माता की आरती ।।

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ...
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ।।।

 

बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
दिखे हर घड़ी नया चमत्कार आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
झांकी निहारो रे ॥

 

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ...
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ।।।

 

सदा होती है जय जय कार माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
जीवन सुधारो रे ॥

 

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ...
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ।।।



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