शास्त्रोंं केे अनुसार त्रेतायुग के प्रारंभ में श्रीहरि विष्णु ने धूलि वंदन किया, इसका अर्थ यह है कि 'उस युग में श्री विष्णु ने अलग-अलग तेजोमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया।
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आप नहीं जानते होंगे कि हम क्यों मनाते हैं रंगपंचमी, पढ़ें पौराणिक रोचक जानकारी
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