जी हां हनुमान जी हैं तो सब कुछ संभव है, जिसके उपार इनकी कृपा हो जाये वह हो जाता हैं मालामाल, केवल शनिवार और मंगलवार ही नहीं कुछ भक्त तो हनुमान चालीसा का पाठ हर दिन करते हैं । हनुमान चालीसा को सिद्ध करके कोई मनवाछिंत फल प्राप्त कर सकता हैं । हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं । जाने हनुमान चालीसा से अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव लाये सकते है ।
हनुमान चालीसा के पाठ से व्यक्ति के जीवन में आते हैं ये अद्भूत बदलाव
1- श्रीगुरु चरन सरोज रज ।
निज मनु मुकुरु सुधारि ।।
अर्थात - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं- गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है । जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई भी आगे नहीं बढ़ा सकता । गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं । आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी । माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है । अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें ।
2- कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुंचित केसा ।।
अर्थात - हनुमान जी के शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं । आज के दौर में व्यक्ति की तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह रहता और दिखता कैसे हैं । इसलिए, रहन-सहन और पहनावा हमेशा अच्छा रखें ।
3- बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।
अर्थात - हनुमान जी विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं । राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं । आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है । लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से व्यक्ति सफल नहीं होंगे । विद्या हासिल करने के साथ उसे अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी । हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी ।
4- सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रुप धरि लंक जरावा ।।
अर्थात - हनुमान जी ने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए, और लंका जलाते समय हनुमान जी ने बड़ा स्वरुप धारण किया । व्यक्ति को कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है ।
5- तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना ।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ।।
अर्थात - विभीषण ने हनुमान जी की सलाह मानी, और वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है । हनुमान जी सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले, विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी । विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए । किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है । सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है ।
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