इस चमत्कारी मंदिर में शीतला सप्तमी के दिन, हर साल दोहराया जाता है सैकड़ों साल पुराना इतिहास

भारत देश में कई चमत्कारी, रहस्यमय, ऐतिहासिक मंदिर है। कुछ चमत्कारी मंदिर तो ऐसे भी हैं जिनके चमत्कार के बारे में आज तक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए की आखिर ये सब कैसे हो रहा है। जी हां, उन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। जो की बहुत ही पुराना मंदिर है। मान्यताओं के अनुसार यहां साल में दो बार इतिहास को दोहराया जाता है। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध व देवी शीतला माता का सिद्ध मंदिर है। मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास बहुत ही गहरा है और इससे उनकी आस्था भी जुड़ी हुई है। वैसे तो यहां हर दिन भक्तों की भीड़ होती है। लेकिन शीतला सप्तमी के दिन यहां माता के दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगती हैं। इस दिन यहां का नजारा बहुत ही अद्भुत होता है।

 

shitla mata mandir rajasthan

साल में दो बार हटता है यहां का पत्थर

रहवासियों के अनुसार मंदिर में करीब 800 साल से यह परंपरा चली आ रही है। यहां मौजूद घड़े से पत्थर साल में दो बार हटाया जाता है। पहला शीतला सप्तमी पर और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर. दोनों मौकों पर गांव की महिलाएं इसमें कलश भर-भरकर हजारों लीटर पानी डालती हैं, लेकिन घड़ा नहीं भरता है। लेकिन पुजारी बताते हैं की सबसे अंत में माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग चढ़ाया जाता हैं जिससे घड़ा पूरा भर जाता है। दूध का भोग लगाकर इसे बंद कर दिया जाता है। शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर यहां गांव में मेला लगता है। इस घड़े को लेकर वैज्ञानिक स्तर पर कई शोध हो चुके हैं, लेकिन भरने वाला पानी कहां जाता है, यह आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। लेकिन ग्रामिणों के अनुसार इस घड़े का पानी राक्षस पी जाता है।

मंदिर का 800 साल पुराना इतिहास

इस घड़े का राज और चमत्‍कार सुन कर तो वैज्ञानिक भी हैरान है। करीब 800 साल से लगातार साल में केवल दो बार ये घड़ा सामने लाया जाता है। माना जाता है कि इस घड़े में कितना भी पानी भरा जाए लेकिन यह कभी पूरा नहीं भरता। अब तक इसमें 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है। एक मान्यता है यह भी है कि इसका पानी राक्षस पीता है, जिसके चलते ये पानी से कभी नहीं भर पाता है।

 

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चमत्‍कारी घड़े की कहानी, इसलिए कभी नहीं भरता घड़ा

ऐसी मान्यता है कि आज से आठ सौ साल पूर्व बाबरा नाम का राक्षस था। इस राक्षस के आतंक से ग्रामीण परेशान थे। यह राक्षस ब्राह्मणों के घर में जब भी किसी की शादी होती तो दूल्हे को मार देता। तब ब्राह्मणों ने शीतला माता की तपस्या की, इसके बाद शीतला माता गांव के एक ब्राह्मण के सपने में आईं और मां ने कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस को मार देगीं।

शादी के समय शीतला माता एक छोटी कन्या के रूप में मौजूद थी। वहां माता ने अपने घुटनों से राक्षस को दबोचकर उसका प्राणांत किया। इस दौरान राक्षस ने शीतला माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है, इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाना होगा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया, तभी से यह पंरापरा चली आ रही है और आज भी साल में दो बार घड़े से पत्थर हटा दिया जाता है।



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