ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है। इस नक्षत्र को शुभ नहीं माना जाता है।
पंचक 28 अप्रैल को दोपहर तीन बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 3 मई की दोपहर 2 बजकर 41 मिनट तक लगेगी। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि कोई भी शुभ कार्य अच्छे परिणाम नहीं देंगे।
पंचक के दौरन न करें ये काम
पंचक के दौरान घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का डर रहता है।
इस नक्षत्र में किसी को मृत्यु होने से और पंचक में शव का दाह संस्कार करने से निकटजनों में पांच लोगों की मृत्यु हो जाती है।
पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। हानिकारक हो सकता है।
अगर पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो तो उस वक्त घर की छत नहीं बनाना चाहिए। इससे धन की हानि होती है और घर में क्लेश होता है।
माना जाता है कि पंचक के दौरान पंलग भी नहीं बनवाना चाहिए, ये भी बड़े संकट को न्योता देने के समान है।
पंचक में नक्षत्र
घनिष्ठा नक्षत्र : अग्नि का भय रहता है
शतभिषा नक्षत्र : कलह के योग बनते हैं
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र : रोग कारक नक्षत्र होता है
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र: धन के रूप में दंड होता है
रेवती नक्षत्र : धन हानि की संभावना होती है
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