विचित्र परंपराः इस मंदिर में एक दूसरे पर बरसाई जाती है आग, तभी पूरी होती है मनोकामना

देवी दुर्गा के चमत्कारी मंदिर यूं तो देशभर में कई जगहों पर है। लेकिन हर मंदिर की अपनी विशेषता और मान्यताएं हैं। मां के अनेको मंदिर है और सभी मंदिर की रीति भी अलग-अलग है। उन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर कर्नाटक राज्य के कातील में स्थित है। कातील मैंगलोर से महज़ 26 किमी की दूरी पर है। यहां देवी मां का मंदिर दुर्गा परमेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में सदियों अग्नि केलि नाम की परंपरा चली आ रही है, जिसमें लोग अपनी जान की परवाह किए बिना एक-दूसरे पर आग फेंकते हैं। यह परंपरा यहां के लोग उत्सव के तौर पर 8 दिनों तक मनाते हैं।

 

durga parmeshwari mandir

नंदिनी नदी के किनारे स्थित दुर्गापरमेश्वरी मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर में अग्नि केलि नाम की परंपरा दो गांव आतुर और कलत्तुर के लोगों के बीच में होती है। परंपरा का यह उत्सव शुरु होने से पहले देवी मां की शोभा यात्रा निकाली जाती है और उसके बाद तालाब में डुबकी लगाई जाती है। तालाब में डुबकी लगाने के बाद ही दोनों गांवों के लोगों के बीच अलग-अलग दल बना लिए जाते हैं। दल बनाने के बाद हाथों में नारियल की छाल से बनी मशाल लेकर एक दूसरे के सामने खड़े हो जाते हैं। मशालों जला दिया जाता है और फिर इन जलती मशालों को एक-दूसरे पर फेंका जाता है। यह खेल करीब 15 मिनट तक चलता है। लेकिन इस परंपरा के तहत एक शख्स सिर्फ पांच बार ही जलती मशाल फेंक सकता है। उसके बाद मशाल को बुझाकर वहां से हट जाता है।

 

durga parmeshwari mandir

परंपरा को लेकर यह है मान्यता

अग्नि केली की इस परंपरा को लेकर लोगों का कहना है की यह परंपरा व्यक्ति के दुख को दूर करने में मदद करती है। इस परंपरा से किसी भी व्‍यक्ति को आर्थिक या फिर शारीरिक रूप से कोई तकलीफ हो तो वह इस खेल में शामिल हो सकता है और ऐसा करने पर मां दुर्गा उस व्यक्ति के सारे कष्‍ट दूर कर देती हैं।

रंगमंच का आयोजन

मंदिर का अपना रंगमंच केंद्र है जहां 'यक्षगान' किया जाता है। इस यक्षगान में मां दुर्गा परमेश्वरी देवी द्वारा दानवों के संहार को बताया जाता है। मां के प्रेरक विचारों से इसके जरिए रूबरू करवाया जाता है। इस दौरान अभिनय, संगीत, नृत्य से सजी यह नाट्य कला को देखने विदेशी भी आते हैं। बता दें कि नवंबर से मई तक भारत के अलावा विश्व के अन्य शहरों में नाट्य समूह के साथ यक्षगान का प्रदर्शन भी किया जाता है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2GAsHQJ
Previous
Next Post »