आज 4 मई को न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव की पूजा शनिचरी अमावस्या के रूप में मनाई जा रही है। शनिचरी अमावस्या के दिन प्रदोष काल में यानी की सूर्यास्त के समय या बाद में शनि देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। अगर इस शनि महाराज जी विधिवत पूजा करने के बाद इस विधि से पूजा और इस चीज से शनि देव का अभिषेक करेंगे तो शनि देव प्रसन्न होकर मन की हर मुराद पूरी कर देते हैं।
प्रदोष काल में शनि पूजा
साथ ही शनि के प्रकोपों से मुक्ति मिल जाती है। आज शाम प्रदोष काल में अपने घर में ही या फिर शनि मंदिर में जाकर शनिदेव की आरती करें। प्रचलित कथानुसार, शनिदेव की पूजा को लेकर पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग नियम विधान बनाए गए हैं। शास्त्रों में पुरुषों को शुद्ध स्नान के बाद पूजा का अधिकार है लेकिन महिलाओं को शनि भगवान के लिए बने चतबूतरे पर जाने का अधिकार नहीं। अगर वह मंदिर में जा रही तो उन्हें स्पर्श नहीं करना चाहिए।
व्यापारियों के लिए अनिवार्य शनि पूजा-
अगर किसी जातक की राशि में शनि आ रहे, साढ़ेसाती हो या ढैय्या तब तो शनीचरी अमावस्या के दिन शनि की पूजा करने के बाद इस आरती वंदना का गान अवश्य करना चाहिए। इतना ही नहीं अगर कोई कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पेट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित काम करते हो वे शनिदेव की पूजा हर रोज या हर शनिवार जरूर करें।
धन प्राप्ति के लिए शनि पूजा
शनिचरी अमावस्या को सूर्यास्त होने के तुरंत बाद सरसों के तेल का दीपक जिसे एक साथ 11 बत्ती लगी हो को किसी प्राचीन पीपल के पेड़ के नीचे जाकर जला दें । दीपक जलाने के बाद पीपल के पेड़ की 11 परिक्रमा ऊं शनि देवाय नमः बोलते हुये लगावें। ऐसा करने से शनि देव की कृपा से धन से संबंधित समस्याएं दूर होने लगेगी और तेजी से धन आवक बढ़ने लगेगी।
शनिचरी अमावस्या पर रोगी ऐसे करें शनि का पूजन
अगर कोई व्यक्ति किसी गंभीर रोग से पीड़ित हो तो उन्हें शनिवार को पड़ने वाली शनिचरी अमावस्या पर शनि देव का पूजन इस विधि से जरूर करना चाहिए। कैंसर, एड्स, कुष्ठरोग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरोग, मधुमेह, खाज-खुजली रोगों के लिए भी शनिदेव की पूजा अत्यंत ही फलदायी और शुभ मानी जाती है। रोगी इस दिन श्री शनिदेव का पूजन एवं तेल से अभिषेक जरूर करें।
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