एक दिन ऐसा है जो स्वयं गंगा माता का ही माना गया है। वह दिन है ज्येष्ठ शुक्ल दशमी। इसी दिन हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को संवत्सर का मुख कहा गया है। इस दिन दान-पुण्य और स्नान का अत्यधिक महत्व है।
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