अगर आपके आसपास इस भगवान का मंदिर है तो भूलकर भी इससे ज्यादा परिक्रमा न करें, नहीं तो...

पूजा-पाठ के बाद भगवान की प्रदक्षिणा यानी परिक्रमा करने का विधान शास्त्रोंक्त है और मान्यता है कि परिक्रमा से पापों का नाश होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के आधार पर ईश्वर हमेशा मध्य में विराजमान रहते हैं, और मंदिर में दर्शन करने के बाद नंगे पांव परिक्रमा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं, और मन को शांति भी मिलती है। सभी देवी देवताओं की परिक्रमा के अलग-अलग नियम बतायें गये है, खासकर इस मंदिर के देवता की इससे ज्यादा परिक्रमा भूलकर भी नहीं करें।

 

 

प्राचीन मान्यतानुसार जो लोग अपने माता पिता, गुरु, यज्ञशाला और मंदिरों की परिक्रमा लगाते है उनके जीवन में धन-समृद्धि खुशियां सदैव बनी रहती हैं ।

 

शनिवार की शाम कर लें इनमें से कोई भी एक उपाय, साक्षात दर्शन दें इच्छा पूरी करेंगे हनुमान जी

 

परिक्रमा मंत्र

ऊँ यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थात- जाने-अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। हे परमेश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें।

भगवान की परिक्रमा के नियम

मान्यतानुसार शिवलिंग की इससे अधिक परिक्रमा करना वर्जित है

ऐसा शिव मंदिर जहां जलधारी बाहर खुली हो ऐसी शिवलिंग की आधी प्रदक्षिणा ही की जाती है, इस संबंध में मान्यता है कि जलधारी को लांघना नहीं चाहिए। जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।

 

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भगवान की परिक्रमा के नियम

इन देवताओं की इतनी परिक्रमा करनी चाहिए-

1- सूर्य देव की सात परिक्रमा

2- श्रीगणेश जी की चार परिक्रमा

3- भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा

4- देवी मां दुर्गा की एक परिक्रमा

5- हनुमानजी की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।

 

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6- जन्म देने वाले माता-पिता की रोज 3 परिक्रमा करनी चाहिए।

7- पवित्र यज्ञशाला की 5, 11 या 108 परिक्रमा करनी चाहिए।

8- वट सावित्री में पति की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ के लिए महिलाएं व्रत रखती है। इस दिन वट के पेड़ की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।

9- पित्रों की कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ की 11 या 21 परिक्रमा करनी चाहिए।

10- गायत्री मंत्र जपने वाला कोई भी इंसान, श्राद्ध लेने वाला पंड़ित और मार्जन के जानकर को, भोजन खिलाकर चार परिक्रमा करनी चाहिए ।

भगवान की परिक्रमा के नियम

परिक्रमा करते समय विशेष ध्यान रखें

1- जिस देवी-देवता की परिक्रमा की जा रही है, मन ही मन उनके मंत्रों का जप करना चाहिए।

2- भगवान की परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए।

3- परिक्रमा नंगे पैर ही करना चाहिए।

4- परिक्रमा करते समय बातें नहीं करना चाहिए। शांत मन से परिक्रमा करें।

5- परिक्रमा करते समय तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला पहनना बहुत शुभ होता है।

 

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