देवी धूमावती : मां को पकौड़ी और कचौड़ी पसंद है!

अब तक आपने अनेक देवी-देवताओं के मंदिर और उनकी मान्यताओं के बारे में सुना होगा। आज हम आपको ऐसे देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मां को पकौड़ी और कचौड़ी का भोग लगाया जाता है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित है। देवी धूमावती का यह मंदिर एक अनोखा मंदिर है। कहा जाता है कि इनका पूजन सिर्फ विधवाएं ही कर सकती हैं, लेकिन सुहागिन स्त्रियां पति और पुत्र की दीर्घायु के लिए दूर से प्रार्थना कर सकती हैं। आइये जानते हैं मां पीतांबरा मंदिर के बारे में...

  1. मध्यप्रदेश के दतिया जिले में धूमावती माता का यह अनोखा मंदिर स्थित है। यहां मां धूमावती को नमकीन पकवान, जैसे पकौड़ी, कचौड़ी, समोसे आदि का भोग लगाया जाता है।
  2. पीतांबरा मंदिर की स्थापना स्वामीजी महाराज नामक संत ने किया था। बताया जाता है कि यहां पर मां धूमावती की स्थापना नहीं करने के लिए कई विद्वानों ने स्वामीजी महाराज से आग्रह किया था। तब स्वामी जी ने कहा था कि मां का भयंकर रूप तो दुष्टों के लिए है, भक्तों के प्रति ये अति दयालु हैं।
  3. बताया जाता है कि पीतांबरा पीठ में मां धूमावती की स्थापना हुई थी, उसी दिन स्वामी महाराज ने अपने ब्रह्मलीन होने की तैयारी शुरू कर दी थी। बताया जीता है कि ठीक एक वर्ष बाद मां धूमावती जयंती के दिन स्वामी महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे।
  4. यहां पर मां धूमावती की आरती सुबह-शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिए मां धूमावती का मंदिर शनिवार को सुबह-शाम 2 घंटे के लिए खुलता है। बाकी समय मंदिर के पट लगे रहते हैं। धूमावती देवी के दर्शन सिर्फ आरती के दौरान हा करना संभव है।
  5. 10 महाविद्याओं में उग्र मां धूमावती का स्वरूप विधवा का है और कौआ उनका वाहन है। माता श्वेत मलिन वस्त्र धारण करती हैं और उनके केश खुले हुए हैं। शनिवार को काले कपड़े में काले तिल माता को भेंट किए जाते हैं। मां धूमावती तांत्रिक बाधाओं की काट मानी जाती हैं।
  6. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऋषि दुर्वासा, भृगु, परशुराम आदि की मूल शक्ति मां धूमावती हैं। सृष्टि कलह की देवी होने के कारण इनको कलहप्रिय भी कहा जाता है। चौमासा देवी का प्रमुख समय होता है, जब देवी का पूजा-पाठ किया जाता है।


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