शिव भक्त को परेशान करने पर, मृत्यु के देवता यमराज की भी मौत हो गयी, जानें अद्भूत रहस्य

इस दुनिया में मृत्यु को कोई नहीं जीत सकता। स्वयं ब्रह्मा भी चतुर्युगी के अंत में मृत्यु के द्वारा परब्रह्म में लीन हो जाते हैं। लेकिन भगवान शिव ( Shiva devotee ) ने अनेक बार मृत्यु को पराजित किया है इसलिए वे ‘मृत्युंजय’ और ‘काल के भी काल महाकाल’ कहलाते हैं। ईश्वर के प्रिय भक्त का स्वामी स्वयं ईश्वर ही होता है, उस पर मौत का भी अधिकार नहीं होता है। मत्यु के देवता स्वयं यमराज भी ईश्वर के भक्त पर जबरदस्ती करे तो यमराज भी मौत से अछुते नहीं रह सकते। यह प्रसंग कोई काल्पनिक नहीं हैं बल्कि महान शिवभक्त राजा श्वेत के जीवन में घटित घटना पर आधारित है।

 

12 में से इन 7 ज्योतिर्लिंगों का पंचामृत से भूलकर भी नहीं करें अभिषेक

 

राजा श्वेत की निश्चल शिव भक्ति

वृद्ध होने पर राजा श्वेत अपने पुत्र को राज्य सौंप कर गोदावरी नदी के तट पर एक गुफा में शिवलिंग स्थापित कर शिव की आराधना में लग गए। श्वेतमुनि को न तो कोई रोग था न ही कोई शोक, इसलिए आयु पूरी होने का भी आभास उन्हें नहीं हुआ, क्योंकि उनका सारा ध्यान शिव में लगा था। वे अभय होकर रुद्राध्याय का पाठ कर रहे थे और उनका रोम-रोम शिव के स्तवन से प्रतिध्वनित हो रहा था।

शिव की परम भक्ति

यमदूतों ने मुनि के प्राण लेने के लिए जब गुफा में प्रवेश किया तो गुफा के द्वार पर ही उनके अंग शिथिल हो गए। इधर जब मृत्यु का समय निकलने लगा तो चित्रगुप्त ने यमराज से पूछा— कि ‘श्वेत की आत्मा को लकेर यमदूत अब तक क्यों नहीं आये। यह सुनकर क्रोधित यमराज स्वयं श्वेत के प्राण लेने के लिए पृथ्वी पर आ गये। गुफा के द्वार पर कांपते हुए यमदूतों ने यमराज से कहा—‘श्वेत तो अब राजा न रहकर महामुनि है, वे शिव की परम भक्ति के कारण सुरक्षित हो गए है, हम उनकी ओर आंख उठाकर देखने में भी समर्थ नहीं है।

 

सावन में जपने के लिए इस मंत्र को कर लें याद, एक महीने में भोले बाबा कर देंगे हर इच्छा पूरी

 

वृषभध्वज मेरे रक्षक है

यमदूतों की बात सुनकर यमराज पाश लेकर श्वेतमुनि की कुटिया में प्रवेश किया। श्वेतमुनि उस समय शिव पूजा में लीन थे । अपने सामने विकराल शरीर वाले मृत्यु के देवता यमराज को देखकर वे चौंक पड़े और शिवलिंग को पकड़ते हुए यमराज से कहा हे देव आप यहां क्यों पधारे हैं। जब वृषभध्वज मेरे रक्षक हैं तो मुझे किसी का भय नहीं, महादेव इस शिवलिंग में विद्यमान है। अतः आप यहां से चले जाएं। इस पर यमराज ने कहा- ‘मुझसे तु्म्हें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से कोई भी नहीं बचा सकता।

मृत्यु के देवता यमराज की भी मृत्यु हो गयी

शिव भक्त पर मृत्यु का आक्रमण भैरव बाबा को सहन नहीं हुआ और उन्होंने यमराज पर प्रहार कर दिया जिससे मृत्यु के देवता वहीं शांत हो गये। शिव भक्त की रक्षा के लिए शिव पुत्र कार्तिकेय भी वहां पहुंच गये और यमराज पर शक्तिअस्त्र से प्रहार कर दिया जिससे मृत्यु के देवता यमराज की भी मृत्यु हो गयी। यमराज की मृत्यु पर सभी देवता शिव जी से यमराज को पुनः जीवित करने की प्रार्थना करने लगे।

 

सुख संपत्ति, धन वैभव की हर कामना होगी पूरी, सावन में सुबह शाम करें इस शिव स्तुति का पाठ

 

भगवान शिव ने दिया यमराज को प्राणदान

शिवजी ने देवताओं की बात मानते हुये पुनः यमराज को प्राण दिया और यमराज ने उठकर श्वेतमुनि से कहा— सम्पूर्ण लोकों में अजेय मुझे भी तुमने जीत लिया है, अब मैं तुम्हारा अनुगामी हूं। तुम भगवान शिव की ओर से मुझे अभय प्रदान करो। श्वेतमुनि ने यमराज से कहा— भक्त तो विनम्रता की मूर्ति होते है। आपके भय से ही सत्पुरुष परमात्मा की शरण लेते हैं। इस पर प्रसन्न होकर यमराज वहां से अपने लोक को चले गए।

*********

amazing secrets of <a href=yama raj : death during harass shiva devotee" src="https://new-img.patrika.com/upload/2019/07/23/3_5_4877003-m.jpg">

from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2XWvC0c
Previous
Next Post »