आज भी हैं यदुवंशी या भगवान श्रीकृष्ण के साथ खत्म हो गया था पूरा वंश?

एक ऐसा युद्ध, जो सम्राज्य के लिए दो परिवारों में भीषण युद्ध हुआ। 18 दिनों तक चला इस युद्ध में असंख्य लोग मारे गए। इस युद्ध में रक्तचाप के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं तो महाभारत ( Mahabharat ) के युद्ध के बारे में। जिसमें पांडवों ( pandav ) और कौरवों ( Kaurav ) का युद्ध हुआ।

 

इस युद्ध में कौरवों के समस्त कुल का नाश हुआ। इसके अलावा पांच पांडवों को छोड़कर पांडव कुल के अधिकांश लोग मारे गए। लेकिन इस युद्ध के कारण कुछ ऐसी भी घटनाएं हुई, जो अविश्वसनीय है। वो है भगवान श्रीकृष्ण ( Lord Krishna ) के पूरे वंश के साथ नाश। मान्यता है कि इस वंश का नाश का कारण था एक श्राप, जो एक मां द्वारा दी गई थी।

 

दरअसल, महाभारत के युद्ध में कौरव वंश का नाश हो गया था। यु्द्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर को राजतिलक किया गया। लेकिन कौरवों की माता गंधारी ने महाभारत युद्ध के लिए कृष्ण को दोषी मानती रहीं। बेटों की मृत्यु से दुखी होकर गंधारी ने श्राप दिया कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश ( Yaduvanshi ) का भी नाश हो जाएगा।

 

गंधारी के श्राप के कारण विनाशकाल आने के कारण भगवान श्रीकृष्ण यदुवंशियों को लेकर प्रयास क्षेत्र में आ गए। इस दौरान यदुवंशी अपने साथ अन्न भंडार भी लेकर आये थे। तब कृष्ण ने सभी अन्न भंडार ब्राह्मणों को दान दे दिया और मृत्यु का इंतजार करने का आदेश दे दिया।

 

कुछ दिनों बाद सभी यदुवंशी आपस में महाभारत युद्ध की चर्चा कर रहे थे, इसी दौरान सात्यकि और कृतवर्मा में किसी बात को लोकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि सात्यकि ने गुस्से में आकर कृतवर्मा का सिर काट दिया। इस घटना के बाद यदुवंशी समूहों में विभाजित हो गए और एक दूसरे का संहार करे लगे।

 

इस लड़ाई में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युमन और मित्र सात्यकि समेत सभी यदुवंशी मारे गए। केवल बब्रु और गारूक ही बच गए थे। यदुवंश के नाश के बाद भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी समुद्र तट पर बैठ गए और एकाग्रचित होकर परमात्मा में लीन हो गए। इस प्रकार शेषनाग के अवतार बलराम जी स्वधाम लौट गए।

 

बहेलिये का तीर लगने से हुई श्रीकृष्ण की मृत्यु

बलराम जी के देह त्यागने के बाद जब एक दिन श्रीकृष्ण जी पीपल के नीचे ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए थे, तब उस क्षेत्र में एक जरा नाम का बहेलिया आया हुआ था। जरा एक शिकारी था और वह हिरण का शिकार करना चाहता था। जरा को दूर से हिरण के मुख के समान श्रीकृष्ण का पेर का तलवा दिखाई दिया। बहेलिए ने बिना कोई विचार किए वहीं से एक तीर छोड़ दिया जो कि श्रीकृष्ण के तलवे में जाकर लगा और इस प्रकार कृष्ण भी स्वधाम पहुंच गए और यदुवंश का पूरी तरह नाश हो गया!



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