पितृ पक्ष 2019 : सबसे पहले इनका श्राद्ध कर्म करने से पित्रों की अतृप्त आत्माओं की मिल जाती है मुक्ति

हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता हैं कि पितृ पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का श्राद्ध कर्म करने के पहले इन पांच शक्तियों को तर्पण देना चाहिए। ऐसे दिवंगत पितर जिनकी आत्मा अतृप्त है, मुक्ति नहीं मिल पाई हो, या फिर प्रेत योनी में भटक रही हो तो इन पांच को पहले श्राद्ध करने से उनकी भटकती आत्माओं को मोक्ष-मुक्ति मिल जाती है। इसलिए पितृ पक्ष में इन्हीं को पहले श्राद्ध करने का विधान है। जानें ये पांच कौन सी शक्तियां हैं जिन्हें पहले तर्पण आदि करना चाहिए।

 

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इन पांच को करें पहले तर्पण

श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का तर्पण करने से पहले- देवता, ऋषि, दिव्य मनुष्य, दिव्य पितृ एवं मृत्यु के देवता यमराज इन पांचों को श्रद्धा पूर्वक नीचे दिये मंत्रों का उच्चारण करते हुए तर्पण करने से भूत-प्रेत योनी में भटक रही अतृप्त आत्माओं को मुक्ति मिल जाती हैं ।

1- इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए अपने घर या नदी, तालाब पर भी देवतर्पण करके देवताओं को तर्पण दिया जा सकता है।

ॐ ब्रह्मा तृप्यताम् । ॐ विष्णुस्तृप्यताम् । ॐ रुद्रस्तृप्यताम् । ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम् । ॐ देवास्तृप्यन्ताम् । ॐ छन्दांसि तृप्यन्ताम् । ॐ वेदास्तृप्यन्ताम् । ॐ ऋषयस्तृप्यन्ताम् । ॐ पुराणाचार्यास्तृप्यन्ताम् । ॐ गन्धर्वास्तृप्यन्ताम् । ॐ इतराचार्यास्तृप्यन्ताम् । ॐ संवत्सररू सावयवस्तृप्यताम् । ॐ देव्यस्तृप्यन्ताम् । ॐ अप्सरसस्तृप्यन्ताम् । ॐ देवानुगास्तृप्यन्ताम् । ॐ नागास्तृप्यन्ताम् । ॐ सागरास्तृप्यन्ताम् । ॐ पर्वतास्तृप्यन्ताम् । ॐ सरितस्तृप्यन्ताम् । ॐ मनुष्यास्तृप्यन्ताम् । ॐ यक्षास्तृप्यन्ताम् । ॐ रक्षांसि तृप्यन्ताम् । ॐ पिशाचास्तृप्यन्ताम् । ॐ सुपर्णास्तृप्यन्ताम् । ॐ भूतानि तृप्यन्ताम् । ॐ पशवस्तृप्यन्ताम् । ॐ वनस्पतयस्तृप्यन्ताम् । ॐ ओषधयस्तृप्यन्ताम् । ॐ भूतग्रामश्चतुर्विधस्तृप्यताम् ।

 

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2- ऋषितर्पण- इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए ऋषियों के लिए तर्पण करें- एक-एक अञ्जलि जल दें—
ॐ मरीचिस्तृप्यताम् । ॐ अत्रिस्तृप्यताम् । ॐ अङ्गिरास्तृप्यताम् । ॐ पुलस्त्यस्तृप्यताम् । ॐ पुलहस्तृप्यताम् । ॐ क्रतुस्तृप्यताम् । ॐ वसिष्ठस्तृप्यताम् । ॐ प्रचेतास्तृप्यताम् । ॐ भृगुस्तृप्यताम् । ॐ नारदस्तृप्यताम् ॥

3- दिव्य मनुष्य तर्पण - इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए दिव्यमनुष्यों के लिए तर्पण करें-
ॐ सनकस्तृप्यताम् ॥2॥ ॐ सनन्दनस्तृप्यताम् ॥2॥ ॐ सनातनस्तृप्यताम् ॥2॥ ॐ कपिलस्तृप्यताम् ॥2॥ॐ आसुरिस्तृप्यताम् ॥2॥ ॐ वोढुस्तृप्यताम् ॥2॥ ॐ पञ्चशिखस्तृप्यताम् ॥2॥

4- दिव्य पितृ तर्पण- इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए दिव्य पितरों के लिए तर्पण करें-
ॐ कव्यवाडनलस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॥3॥
ॐ सोमस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॥3॥
ॐ यमस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॥3॥
ॐ अर्यमा तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॥3॥
ॐ अग्निष्वात्ता: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: ॥3॥
ॐ सोमपा: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम:॥३॥
ॐ बर्हिषद: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: ॥३॥

 

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5- यमतर्पण- मृत्यु के देवता यमराज के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए तर्पण करें-
ॐ यमाय नम: ॥3॥
ॐ धर्मराजाय नम: ॥3॥
ॐ मृत्यवे नम: ॥3॥
ॐ अन्तकाय नम: ॥3॥
ॐ वैवस्वताय नमः ॥3॥
ॐ कालाय नम: ॥3॥
ॐ सर्वभूतक्षयाय नम: ॥3॥
ॐ औदुम्बराय नम: ॥3॥
ॐ दध्नाय नम: ॥3॥
ॐ नीलाय नम:॥3॥
ॐ परमेष्ठिने नम:॥3॥
ॐ वृकोदराय नम:॥3॥
ॐ चित्राय नम:॥3॥
ॐ चित्रगुप्ताय नम: ॥3॥

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