अनंत चतुर्दशी यानी 12 सितंबर दिन गुरुवार को जप सुबह 6 बजे से 10 बजे के बीच भगवान गणेश जी का विशेष शाबर का जप करने से साधक जिस चीज की कामना करता है पूरी हो जाती है। तंत्र विधान के अनुसार इस गणेश मंत्र का जप करने के बाद यह एक काम भी करना चाहिए इससे मंत्र सिद्ध होकर फलदायी हो जाता है। जानें श्रीगणेश शाबर मंत्र एवं उसको जपने का सही विधान।
इन पेड़ की पत्तियों को अर्पित करते ही प्रसन्न हो जाते हैं श्रीगणेश, कर देते हैं सभी मनोकामना पूरी
जिस प्रकार प्रत्येक पेड़ एक छोटे से अंकुर में छुपा होता है ठीक उसी प्रकार सभी साधनाओं का फल भी उनकों विधि विधान, श्रद्धाभाव एवं विश्वास के साथ करने से ही प्राप्त हो पाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन जो भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहता हो वह भगवान श्रीगणेश जी के इस विशेष गणेश शाबर मंत्र की साधना अवश्य करें। गणेश प्रसन्न होकर मन की सभी इच्छाएं पूरी कर सकते है।
श्रीगणेश शाबर मंत्र जप विधि-विधान
गणेश अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह 6 बजे से पहले स्नान करके पूजा के लिए तैयार हो जावें। अब किसी स्वच्छ एकान्त स्थान में या गणेश मंदिर में ऐसी जगह जहां पर लोगों का आना जाना ना हो या तो बिलकुल ही कम हो, ऐसे पवित्र स्थान में कुशा या कंबल के आसन पर बैठकर भगवान् श्री गणेश जी का षोडशोपचार विधि से पूजन करें। पूजा में गाय के घी का एक बड़ा सा दीपक जला लें।
- पूजा में गणेश जी की मिट्टी से बनी मूर्ति का ही प्रयोग करें, एवं गणेश के अलावा देवी रिद्द-सिद्धि का भी पूजन विधि पूर्वक करें। मंत्र जप केवल स्फटीक या लाल चदंन की माला से ही करना है, जप करते समय मन ही मन गणेश जी से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना भी करते रहे। जप केवल सुबह 6 बजे लेकर 10 बजे के बीच ही करना है। कुल जप संख्या- एक हजार होनी चाहिए तब ही मंत्र सिद्ध होगा।
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जप के बाद ये जरूर करना है
जप पूरा होने के बाद जप किए मंत्र से 108 मंत्रों का हवन भी करना है।
विशेष गणेश शाबर मंत्र
मन्त्र
।। ॐ गणपति यहां पठाऊ तहां जावो
दस कोस आगे जा
ढाई कोस पीछे जा
दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे
मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन
अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज
ॐ क्राम फट स्वाहा ।।
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