यहां है एशिया की सबसे भारी गणेश प्रतिमा, 6 साल में लिया था मूर्ति ने आकार

भारत में अनेकों गणेश मंदिर हैं जहां अजब-गजब गणेश जी की मूर्तियां स्थापित हैं। सभी अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। गणेशोत्सव के दौरान सभी गणेश मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। इन्हीं अनोखे मंदिरों में से एक अजब मंदिर दक्षिण भारत में भी स्थापित है। यह मंदिर एशिया का एकमात्र मंदिर है, जहां की गणेश प्रतिमा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या लोग पहुंचते हैं।

 

mundhi ganesh pratima

जिस प्रसिद्ध व अद्भुत मंदिर की हम बात कर रहे हैं वह मंदिर तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर से 14 किमी दूर पुलियाकुलम में स्थित है। श्री गणेश का यह मंदिर श्री मुंथी विनायक गणपति ( munthi vinayak ganpati ) के नाम से प्रसिद्ध है। यहां एशिया की सबसे भारी गणेश प्रतिमा स्थापित है। मुंथी विनायक गणपति की यहां करीब 20 फीट ऊंची और 11 फीट चौड़ी प्रतिमा है। जोकी भक्तों को आरोग्य प्रदान करने वाले स्वरूप को दर्शाती है। गणेपति के एक हाथ में अमृत कलश है। जो की आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

 

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14 हजार किलो की है मुंथी गणेश प्रतिमा

यहां स्थापित गणेश प्रतिमा की खासियत ये है कि यह प्रतिमा ग्रेनाइट की एक ही चट्टान पर ही उकेरी गई है। यह करीब 140 क्विंटल वजनी है। सैंकड़ों कलाकारों ने बहुत मेहनत के बाद इस सुंदर व अद्भुत प्रतिमा को उकेरा है। ये पूरे एशिया में एक मात्र प्रतिमा है, जो 14 हजार किलो यानी 14 टन वजनी है और पूरी प्रतिमा एक ही ग्रेनाइट पत्थर पर बनाई गई है।

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6 साल के अथक प्रयासों के बाद बनी प्रतिमा

यहां कालसर्प दोष और बीमारियों से मुक्ति के लिए विशेष पूजा की जाती है। ये मंदिर 1982 में बनना शुरू हुआ था। कई कलाकारों ने तमिलनाडु के एक दूसरे हिस्से से लाए गए काले ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान पर गणेशजी की आकृति उकेरना शुरू की। 6 साल की अथक मेहनत के बाद गणेश प्रतिमा ने पूरा आकार लिया। ये प्रतिमा कमल के फूल पर विराजित गणपति की है। जिनकी कमर में कमरबंद के तौर पर वासुकी नाग विराजित हैं। इस प्रतिमा के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।



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