पितृपक्ष शुरु हो चुका है। इस दौरान सभी अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और पितरों को ऊर्जा प्रदान करते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृमोक्ष अमावस्या ( Pitru moksha amavasya ) तक श्राद्ध पक्ष यानी पितृपक्ष मनाया जाता है। इस साल पितृपक्ष बहुत शुभ रहने वाला है। इस दौरान ग्रह नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। पंडितों के अनुसार पितृपक्ष में ऐसा शुभ संयोग 20 साल बाद बन रहा है।
भाद्रपद की पूर्णिमा का एक दिन और अश्विन कृष्णपक्ष के 15 दिन को मिला कर 16 दिन के श्राद्ध होते हैं। पितृ पक्ष ( Pitru paksha 2019 ) का समापन अमावस्या के दिन होता है और इस बार शनिवार, 28 सितंबर को पड़ रहा है। सर्वपितृ अमावस्या ( sarvapitri amavasya 2019 ) और शनिवार का शुभ योग बन रहा है।
पंचक के पांच तत्वों का शुभ नक्षत्र
पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार तारका नक्षत्र पंचक का नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र को कष्टों को दूर करने वाला नक्षत्र माना जाता है। वहीं पंचक को पांच तत्वों से मिला नक्षत्र माना जाता है। जब यह विशेष पर्वकाल में शुक्ल पक्षीय हो या नक्षत्र के स्वामित्व पर शुभ ग्रहों की संयुक्त दृष्टि हो तब यह पंचक शुभ माना जाता है। पंडित जी का कहना है की इस बार पितृपक्ष में पितरों को जल से तृप्त किया जा सकता है। पितरों का पिंडदान भी बहुत शांति व समृद्धि के साथ किया जाएगा। क्योंकि पंचांग के पांच अंग: पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा, शततारका नक्षत्र के स्वामी वरुण देव व धृति योग के स्वामी जल देवता कहे गए हैं।
सर्वपितृ अमावस्या और शनिवार का शुभ योग
20 साल बाद सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को आएगी। 1999 में यह संयोग बना था, जब सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को आई थी। शास्त्रों के अनुसार पंचक के नक्षत्रों की गणना दोनों पक्षों, तिथि और दिवस के आधार पर कि जाती है। यह नक्षत्र 100 प्रकार के कष्ट, बाधा और समस्या से मुक्ति दिलाता है। कहा जाता है की इस नक्षत्र में जो भी कार्य किये जाते हैं चाहे वो धर्म के हों या आध्यात्म के हों सभी शुभ फल प्रदान देते हैं।
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