बिहार की राजधानी पटना स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केन्द्र माना जाता है। कहा जाता है कि देवी सती की दाहिनी जांघ यहीं पर गिरी थी। इस बात का जिक्र देवी भागवत और तंत्र चूड़ामणि में भी है। यहां पर माता की तीन स्वरूपों वाली प्रतिमाएं विराजमान हैं।
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मंदिर परिसर में मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती विद्यमान हैं। इस मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसे 'पटनदेवी खंदा' के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि यहीं से देवी की मूर्तियों को निकालकर मंदिर में स्थापित किया गया था।
राजधानी पटना के गुलजारबाग इलाके में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर परिसर में काले पत्थर की बनी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रतिमा स्थापित हैं। इसके अलावा यहां भैरव की प्रतिमा भी है। बताया जाता है कि यहां पर स्थापित तीनों मूर्तियां सतयुग की है। वैसे तो यहां पर हर दिन भीड़ रहती है लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां मां के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।
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इन सब के अलावा मंदिर परिसर में एक योनिकुंड है। जिसके बारे में मान्यता है कि इसमे डाली जाने वाली हवन सामाग्री भूगर्भ में चली जाती है। इस मंदिर में भी बलि परंपरा है। यहां पर वैदिक और तांत्रिक दोनों विधि से पूजा होती है।
कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से यहां आकर मां की अराधना करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा मान्यता ये भी है कि अर्धरात्रि के समय आरती के बाद जो भी भक्त मां के दर्शन करता है, उसे साक्षात भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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