सर्वपितृ अमावस्या के दिन समस्त ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या 28 सितंबर को पड़ रही है। अमावस्या के दिन श्राद्ध कर पितरों को तृप्त किया जाता है, जिसमें तर्पण, पिंडदान व ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। ब्राह्मण भोजन का हिंदू परंपरा में बहुत अधित महत्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मणों के माध्यम से ही देवता हव्य और पितृ कव्य ग्रहण करते हैं।
श्राद्ध पक्ष व सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनके अनुसार श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मण को कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में...
शास्त्रानुसार श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मण को इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए-
1. ब्राह्मण को श्राद्ध भोजन करने वाले दिन किसी प्रकार को कोई दान नहीं देना चाहिए।
2. ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन चांदी, कांसे या पलाश के पत्तों पर करवाना चाहिए। ध्यान रहें की कभी भी बाह्मण लोहे व मिट्टी के पात्रों का निषेध माना गया है।
3. श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने वाले ब्राह्मण को संध्या करना आवश्यक है। ब्राह्मण श्रोत्रिय होना चाहिए जो प्रतिदिन गायत्री का जप करे।
4. श्राद्ध में भोजन करते समय ब्राह्मण को मौन रहकर भोजन करना चाहिए।
5. श्राद्ध भोजन की ब्राह्मण को ना तो प्रशंसा करनी चाहिए ना ही निंदा करनी चाहिए। यह अच्छा नहीं मान जाता।
6. श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण से भोजन के विषय में अर्थात् 'कैसा है' यह प्रश्न नहीं करना चाहिए।
7. श्राद्ध भोक्ता ब्राह्मण को पुर्नभोजन अर्थात् एक ही दिन दो या तीन स्थानों पर श्राद्ध भोज नहीं करना चाहिए।
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