भारत में एक नहीं चार चिंतामन गणेश मंदिर है, आप जानते हैं क्या?

भारत में भगवान गणेश की कई सिद्ध मंदिरें हैं। उन मंदिरों में चिंतामन भगवान गणेश मंदिर भी है। भारत में कुल चार चिंतामन मंदिर है। माना जाता है कि चिंतामन मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

कहां-कहां है चिंतामन गणेश मंदिर

भारत में चिंतामन गणेश मंदिर भोपाल ( सिहोर ), उज्जैन, गुजरात और रणथंभौर में हैं। इन मंदिरों की स्थापान की कई कहानियां चर्चित है। मान्यता है इन गणेश मंदिरों की स्थापना भगवान गणेश ने खुद किया था या भक्त को सपने में आकर स्थापना करने की बात कही थी।

chintaman ganesh mandir

भोपाल ( सिहोर ) में स्थित चितामन गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां स्थापित मूर्ति भगवान गणेश ने उन्हें स्वयं दी थी। कथाओं के अनुसार, एक बार गणेश जी राजा विक्रमादित्य के सपने में आये और बताया कि पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में मेरी मूर्ति है, इसे स्थापित करो।

स्वपन में जो बातें गणेश जी ने राजा को बताया था, उसी तरह विक्रमादित्य ने किया। जब वे पार्वती नदी के तट पर पहुंचे तो उन्हें पुष्प मिला। इसके बाद राजा वह पुष्प लेकर वापस लौटने लगे। इस दौरान रास्ते में रात हो गई और वह पुष्प अचानक गिर गया और वह श्रीगणेश की मूर्ति के रूप में परिवर्तित होकर जमीन में धंस गई।

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इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने उस मूर्ति को निकालने की बहुत कोशिशा किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। कहा जाता है कि इसके राजा में गणपति की मूर्ति को वहीं पर स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया। तब से ही इस मंदिर को चिंतामन मंदिर के नाम से जाना है।

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उज्जैन में बने चिंतामन मंदिर के बारे में कहा जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने यहां पर गणपति की मूर्ति स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बनवास के दौरान एक बार माता सीता को प्यास लगी तो भगवान राम ने लक्ष्मण से पानी लाने को कहा लेकिन लक्ष्मण ने पानी लाने से इनकार कर दिया।

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लक्ष्मण के इनकार के बाद भगवान राम ने अपनी दिव्यदृष्टि से वहां के स्थिति के बारे में जानकारी ली, तब उन्हें पता चला कि यहां की हवाएं दोषपूर्ण है। इसके बाद भगवान राम ने इसे दूर करने के लिए श्रीगणेश के इस चिंतामन मंदिर का निर्माण कराया। कथाओं के अनुसार, इसके बाद लक्ष्मण ने मंदिर के बगल में एक तालाब बनवाया, जो आज भी लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान गणेश के एक साथ तीन मूर्तियां स्थापित हैं।



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