भाद्रपद माह ( भादो ) के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी पूरे देश में मनाई जाती है और इस बार 2 सितंबर सोमवार को गणेश चतुर्थी है। बहुत ही शुभ संयोगों में गणपति जी कि स्थापना की जाएगी और इस दिन सुबह से ही शुभ मुहूर्त हैं। गणेश चतुर्थी के दिन से अनंत चतुर्थी तक 10 दिनों का गणेशोत्सव मनाया जाता है। पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी ( Ganesh chaturthi ) पर दो शुभ योग और ग्रहों का शुभ संयोग भी बन रहे हैं। जिसकी वजह से इस बार गणेश चतुर्थी का महत्व ओर भी अधिक बढ़ गया है। पंडित जी के अनुसार गणेश चतुर्थी पर पूजा-अर्चना का जातक को श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा। वहीं भगवान को मोदक का भोग भी लगाएं, क्योंकि गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है और मोदक का उल्लेख तो गणेश अथर्वशीर्ष में भी मिलता है। तो आइए जानते हैं अन्य विशेष बातें...
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गणेश अथर्वशीर्ष के अनुसार मोदक का भोग
गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा गया है कि, “यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।”
इसका अर्थ है कि जो भक्त गणेश जी को एक हजार मोदक का भोग लगाता है, उसे गणपति जी से मनचाहा वरदान मिलता है। क्योंकि गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है और इसलिए वे अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं।
गणेश पुराण में भी मिलता है मोदक का महत्व
गणेश पुराण के अनुसार देवताओं ने अमृत से बना एक मोदक देवी पार्वती को भेंट किया। गणेश जी ने जब माता पार्वती से मोदक के गुणों को जाना तो उसे खाने की इच्छा तीव्र हो उठी और प्रथम पूज्य बनकर चतुराई पूर्वक उस मोदक को प्राप्त कर लिया। इस मोदक को खाकर गणेश जी को अपार संतुष्टि हुई तब से मोदक गणेश जी का प्रिय हो गया।
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मोदक का महत्व
देवताओं में प्रथम पूज्य गणपति जी को यजुर्वेद के अनुसार ब्रह्माण्ड का कर्ता धर्ता माना गया है। वहीं यजुर्वेद में भगवान श्री गणेश ने मोदक धारण कर रखा है। मोदक को ब्रह्माण्ड के स्वरुप के रुप में बताया गया है। कथा के अनुसार प्रलयकाल में गणेश जी ब्रह्माण्ड रूपी मोदक को खाकर सृष्टि का अंत करते हैं और फिर सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मण्ड की रचना करते हैं।
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