दशानन के बारे में रोचक और रहस्य से भरी जानकारी: रावण को रावण नाम किसने दिया?

दशहरे के दिन लंकापति रावण का प्रतिकात्मक दहन किया जाता है। मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि के नवमी तिथि के अगले दिन भगवान श्रीराम रावण पर विजय प्राप्त की थी। आज हम आपको रावण के बारे कुछ ऐसे रहस्य बताने जा रहे हैं, जिसे हर किसी को जानना चाहिए।

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  1. रावण सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र था। ऋषि पुलतस्य ब्रह्मा जी के 10 पुत्रों में एक थे। अर्थात रावण ब्रह्मा जी का पड़पौत्र था।
  2. रावण की शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नवग्रहों को अपने बस में कर रखा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण शनि ग्रह को कुछ समय के लिए बंदी भी बना कर रखा था।
  3. रावण को इस बात की जानकारी थी कि उसकी मौत विष्णु के अवतार के हाथों ही लिखी हुई है। साथ ही वह यह भी जानता था कि भगवान विष्णु के हाथों मरने से ही मोक्ष की प्राप्ति होगी।
  4. रावण तीनों लोक का स्वामी था। रावण इंद्र लोक से लेकर भूलोक तक कब्जा किये हुए था।
  5. हिन्दू ज्योतिषशास्त्र में रावण संहिता को सबसे महत्वूर्ण ज्योतिष पुस्तक माना जाता है। इस पुस्तक की रचना खुद रावण ने ही की थी।
  6. कहा जाता है कि रावण जैसा विद्वान अब तक घरती पर नहीं हुआ। यही कारण है कि जब रावण मृत्यु शैया पर लेटा हुआ था तब भगवान राम ने लक्ष्मण को रावण के पास भेजा था ताकि राजपाट चलाने और नियंत्रण के गुर सिख सकें।
  7. रावण को संगीत का बहुत शौख था। वह वीणा बजाने में भी माहिर था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वह इतनी मधुर वीणा बजाता था कि देवात भी उसकी संगीत सुनने के लिए धरती पर आ जाते थे।
  8. वाद्य यंत्र वीणा की खोज रावण ने ही की थी।
  9. रावण को रावण नाम भगवान शिव ने दिया था। रावण का अर्थ होता है जो तेज आवाज में दहाड़ता हो।
  10. रावण को दस सिरों की वजह से दशग्रीव भी कहा जाता है जो उसकी अद्भुत बुद्धिमता को दर्शाता है।
  11. रावण 64 कलाओं में निपुण था, जिसके कारण उसे असुरों में भी सबसे ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता है।


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