हिन्दू धर्म में हवन का क्या है महत्व, इसके बिना क्यों पूर्ण नहीं होती पूजा?

हिंदू धर्म में कई सारी परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक है, यज्ञ और हवन। रामायण और महाभारत में भी यज्ञ और हवन का उल्लेख किया गया है। अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को हवन या यज्ञ कहते हैं। माना जाता है कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है।


धर्म ग्रंथों के के अनुसार, यज्ञ और हवन कराने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है। हवन को आज भी उतना ही शुभ फलदायी माना जाता है जितना कि पहले। माना जाता है कि हवन, यज्ञ के बिना कोई भी पूजा, मंत्र जप पूर्ण नहीं हो सकता। सनातन काल से यज्ञ और हवन की परंपरा चली आ रही है।


हवन को हिंदू धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड माना गया है। हवन के जरिए आसपास की बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता को हवि ( भोजन ) पहुंचाने की प्रक्रिया है।

कहा जाता है कि वायु को शुद्ध करने के लिए हवन, यज्ञ किया जाता है। स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए भी हवन किया जाता है। अग्नि में जब औषधीय गुणों वाली लकड़ियां और शुद्ध गाय का घी डालते हैं तो उसका प्रभाव सुख पहुंचाता है।


माना जाता है कि हवन के धुएं का वातावरण पर असर लंबे समय तक बना रहता है और इस अवधि में जहरीले कीटाणु नहीं पनप पाते। घर के द्वार में अगर वास्तु दोष है तो सूर्य के मंत्र के साथ हवन करना शुभ माना जाता है।



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