चूड़ियां सुहागिन महिलाओं के प्रमुख श्रृंगारों में से एक माना जाता है। महिलाओं के 16 श्रृंगार में चूड़ियां भी शामिल हैं। चूड़ियां पहनने से ना केवन सुंदरता बढ़ती है बल्कि इसके साथ-साथ कई अन्य फायदे भी मौजूद है। चूड़ि पहनने की प्रथा आज से नहीं, वैदिक युग से चली आ रही है। लेकिन महिलाओं के चूड़ी पहनने के पीछे इसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण होता हैं। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे छिपा हुआ कारण...
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चूड़ियां पहनने का धार्मिक कारण
धार्मिक कारणों की बात करें तो देवी पूजन में मां दुर्गा को 16 श्रृंगार चढ़ाया जाता है। इन 16 श्रंगारों में चूड़ियां होती हैं। वैदिक युग से ही चूड़ियां पहनने का प्रचलन है। सभी देवी-देवताओं की बात करें तो सभी के हाथों में चूड़ियां दिखाई देती है। वहीं मान्यता है कि चूड़ियों का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर बुध ग्रह की कृपा पाना हो या फिर बुध की अनुकूलता पाने के लिये महिलाओं को हरी चूड़ियां दान करना चाहिये। ऐसा करने से बुध देव की कृपा व कुंडली में शुभता बनती है।
चूड़ियां पहनने का वैज्ञानिक कारण
धार्मिक मान्यताओं के समान चूड़ियां पहनने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। कहा जाता है कि महिलायें जिस धातु की चूड़ियां पहनती हैं उन्हें धातु के अनुरुप ही फल प्राप्त होता है। चूड़िया पहनने के वैज्ञानिक फायदे होने के कारण भी पहना जाता है। इससे महिलाओं का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। इसके अलावा हाथों में चूड़ियां पहनने से चूड़ियां घर्षण करती है जो की रक्त संचार बढ़ाती है।
इसके अलावा हाथों में चूड़ी पहनने से सांस के रोगों व दिल की बीमारी की आशंकाएं कम होती है। चूड़ी पहनने से मानसिक संतुलन बना रहता है, तभी महिलाएं अपने काम को बड़े ही निष्ठा भाव से करती हैं। इसके अलावा यह भी मानना है कि चूड़ियां कांच की चूड़ियां पहनने और आपस में टकराने से आने वाली आवाजों से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। वहीं माना जाता है कि कलाई के नीचे से 6 इंच तक कुछ एक्यूप्वाइंट्स होते हैं जो की एक साथ दबने से शरीर पर बहुत फर्क पड़ता है और शरीर स्वस्थ्य और ऊर्जावान बना रहता है।
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