मौनी अमावस्या का पर्व इस साल 24 जनवरी ( शुक्रवार ) को मनाया जाएगा। इस दिन मौन रहकर महाव्रत किया जाता है। कहा जाता है कि मौनी शब्द की उत्पति मनि शब्द से हुई है। मान्यता है कि इस दिन मौन रहकर व्रत करने और गंगा या यमुना में स्नान करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है और अमृत के समान पुण्य मिलता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा मन का स्वामी होता है। दरअसल, अमावस्या की रात चंद्रमा के दर्शन नहीं होते हैं। इसलिए इस दिन कुछ भी बोलने से बचना चाहिए और मौन रहना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमृत कलश पाने के लिए असुरों और देवों के बीच खींचातानी हुई थी, जिस कारण अमृत की कुछ बूंदे छलक कर प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरी थी। यही कारण है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से अमृत के समान पुण्य मिलता है।
मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय
मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहिए और परिक्रमा करना चाहिए। साथ ही इस दिन शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए और बेल पत्र अर्पित करना चाहिए। इस दिन किसी गरीब को भोजन भी कराना चाहिए। हो सके तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
पूजा विधि
मौनी अमवस्या के दिन सुबह में ज्लदी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव न हो तो घर पर नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर नहाएं और नहाते वक्त भगवन शिव और विष्णु का ध्यान करें। स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और जरूरतमंद को दान दें। साथ ही गाय को गुड़ खिलाएं।
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