अपने देश से दूर दूसरे देशों (विदेश) में जाने की चाह हर किसी के मन में होती है। कोई घूमने, कोई पढ़ाई करने तो कोई नौकरी का सपना लेकर जाना चाहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विदेश जाने के सपने अक्सर उन्हीं लोगों के पूरे हो पाते हैं जिनकी कुंडली में इन ग्रहों का शुभ संयोग बना हो। जानें ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी से की कुंडली के कौन से ग्रह करवाते हैं विदेश यात्रा।
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ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार उन लोगों की विदेश जाने की इच्छा तभी पूरी हो सकती है जब उनकी कुंडली में विदेश यात्रा के प्रबल योग बने। बिना योग के आप विदेश नहीं कर सकते। कुंडली में ऐसे कई ग्रह संयोग बनते हैं जिनके बनने से जातक के विदेश जाने की इच्छा पूरी हो सकती है, इसके लिए जातक की कुंडली में सारे ग्रह सही स्थान पर होने चाहिए। ग्रहों का सही जगह पर होना तो ठीक है लेकिन इनका प्रबल होना भी आवश्यक है। कुंडली में यदि सारे ग्रह अपने सही स्थान पर है लेकिन वे कमजोर है तो ऐसी स्थिति में आपको योग का लाभ नहीं मिलेगा। इसके साथ ही आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के कारक भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने पर भी योग प्रभावी नहीं हो पाता है। कुल मिलाकर आपको अपने कुंडली में योग व ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने के लिए अपने कुल देवता एवं सूर्य की उपासना करनी चाहिए।
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विदेश जाने के योग
कुंडली में विदेश यात्रा का योग बनने का भाव नवां व बारहवां माना जाता है। परंतु इसके अलावा भी कुंडली में कई भाव है जिनमें अनुकूल योग बनने से जातक विदेश जा सकते हैं, लग्नेश का सप्तम भाव में आना विदेश जाने का सबसे प्रबल योग बनाता है। अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा – राहु का संबंध किसी भी भाव में बन रहा है तो यह आपको विदेश यात्रा करवा सकता है। दशम व द्वादश भाव के स्वामियों का आपस में संबंध बन रहा है तो यह भी जातक के लिए विदेश जाने का योग बनाता है। वहीं अगर इन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो इसका प्रभावव कम हो जाता है।
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