अगर किसी के जीवन में समस्याएं आ रही हो तो उसका एक कारण उनकी कुंडली में खराब ग्रहों की दशा भी भी मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर जातक की जन्म कुंडली में कुल नवग्रह होते हैं- सूर्य, चंद्र, मंगल बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु आदि। कुंडली में इन सभी ग्रहों की स्थिति के हिसाब से ही व्यक्ति को अच्छे या बुरे फल की प्राप्ति होती है। इन ग्रहों के इन मंत्रों का विधिवत जप करने वाले की जिंदगी बदल जाती है।
1- यदि किसी की जन्म कुंडली में सूर्य की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या सूर्य की महादशा चल रही है हो तो इस सूर्य मंत्र का जप हर रोज 108 बार करें।
।। ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।
2- यदि किसी की कुंडली में चंद्र की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा चल रही हो तो हर रोज 108 बार इस मंत्र का जप करें।
।। ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।।
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3- यदि किसी की कुंडली में मंगल की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का 108 बार जप हर रोज करें।
।। ऊँ क्रां क्रीम् क्रौं सः भौमाय नमः।।
4- यदि किसी की कुंडली में बुध की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप 108 बार करें।
।। ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
5- यदि किसी की कुंडली में गुरु की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो 108 बार हर रोज इस मंत्र का जप करें।
।। ऊँ ज्र्रे ज्रीं ज्रौं सः गुरुवे नमः।।
6- यदि किसी की कुंडली में शुक्र की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप 108 बार हर रोज करें।
।। ऊँ द्राम द्रुम द्रौम सः शुक्राय नमः।।
7- यदि किसी की कुंडली में शनि की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप 108 हर रोज करें।
।। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नम:।।
8- यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा चल रही हो तो 108 बार इस मंत्र का जप हर रोज करें।
।। ऊँ भ्राम भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
9- यदि किसी की कुंडली में केतु की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप हर रोज 108 बार जपें।
।। ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः केतवे नमः।।
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6- यदि किसी की कुंडली में शुक्र की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप 108 बार हर रोज करें।
।। ऊँ द्राम द्रुम द्रौम सः शुक्राय नमः।।
7- यदि किसी की कुंडली में शनि की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप 108 हर रोज करें।
।। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नम:।।
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8- यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा चल रही हो तो 108 बार इस मंत्र का जप हर रोज करें।
।। ऊँ भ्राम भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
9- यदि किसी की कुंडली में केतु की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो इस मंत्र का जप हर रोज 108 बार जपें।
।। ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः केतवे नमः।।
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