अष्टमी 01 मार्च 2020 : मां महागौरी के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ, देता है ये खास आशीर्वाद

नवरात्रों मे आठवें दिन यानि अष्टमी का विशेष महत्व है इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। इस बार 01 अप्रैल 2020, बुधवार को अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। मां गौरी को शिव की अर्धांगनी और गणेश जी की माता के रूप मे जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त महागौरी की सच्चे दिल से उपासना करता है तो भक्तों के सभी बुरे कर्म धुल जाते हैं और पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। माता महागौरी के चमत्कारिक मंत्र का अपना महत्व है जिन्हें जपने से अनंत सुखों का फल मिलता है।

इनका मंत्र इस प्रकार है...
(1) 'ॐ महागौर्य: नम:।'
(2) 'ॐ नवनिधि गौरी महादैव्ये नम:।'

महागौरी मां का स्वरूप :
मां की वर्ण पूर्णत: गौरवर्ण है। इनके गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द के फूल से दी जाती है। महागौरी के समस्त वस्त्र तथा आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं है तथा वाहन वृषभ (बैल) है। मां की मुद्रा अत्यन्त शांत है और ये अपने हाथों में डमरू, त्रिशूल धारण किए वर मुद्रा और अभय-मुद्रा धारिणी है।

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मंत्र - श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

आशीर्वाद : इस मंत्र से मां अत्यन्त प्रसन्न होती है तथा भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण करती हैं।

मां की पूजा विधि : इनकी पूजा करने के लिए भक्त को नवरात्रा के आठवें दिन मां की प्रतिमा अथवा चित्र लेकर उसे लकड़ी की चौकी पर विराजमान करना चाहिए।

इसके पश्चात पंचोपचार कर पुष्पमाला अर्पण कर देसी घी का दीपक तथा धूपबत्ती जलानी चाहिए। मां के आगे प्रसाद निवेदन करने के बाद साधक अपने मन को महागौरी के ध्यान में लीन कर निम्न मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना चाहिए: ॐ ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐ महागौरी देव्यै नम:।।

मां का भोग : प्रसाद दूध का ही होना चाहिए।

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दुर्गा सप्तशती पाठ विशेष रूप से नवरात्रों में किया जाता है और अचूक फल देने वाला होता है। दूर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय है। पाठ करने वाला , पाठ सुनने वाला सभी देवी कृपा के पात्र बनते है। नवरात्रि में नव दुर्गा की पूजा के लिए यह सर्वोपरि किताब है। इसमें मां दुर्गा के द्वारा लिए गये अवतारों की भी जानकारी प्राप्त होती है।

दूर्गा सप्तशती अध्याय 1 मधु कैटभ वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 2 देवताओ के तेज से माँ दुर्गा का अवतरण और महिषासुर सेना का वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 3 महिषासुर और उसके सेनापति का वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 4 इन्द्राणी देवताओ के द्वारा मां की स्तुति...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 5 देवताओ के द्वारा मां की स्तुति और चन्द मुंड द्वारा शुम्भ के सामने देवी की सुन्दरता का वर्तांत...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 6 धूम्रलोचन वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 7 चण्ड मुण्ड वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 8 रक्तबीज वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 9 -10 निशुम्भ शुम्भ वध...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 11 देवताओ द्वारा देवी की स्तुति और देवी के द्वारा देवताओं को वरदान...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 12 देवी चरित्र के पाठ की महिमा और फल...

दूर्गा सप्तशती अध्याय 13 सुरथ और वैश्यको देवी का वरदान...

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दुर्गा सप्तशती पाठ विधि : ....

– सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए।

– तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए।

– माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें।

– शिखा बांध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें।

– इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से संकल्प लें।

– देवी का ध्यान करते हुए पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।

– फिर मूल नवार्ण मन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें। इसके बाद शापोद्धार करना चाहिए।

– इसके बाद उत्कीलन मन्त्र का जाप किया जाता है। इसका जप आदि और अन्त में इक्कीस-इक्कीस बार होता है।

-इसके जप के पश्चात् मृतसंजीवनी विद्या का जाप करना चाहिए।

इसके बाद पूरे ध्यान के साथ माता दुर्गा का स्मरण करते हुए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। दुर्गा अर्थात दुर्ग शब्द से दुर्गा बना है , दुर्ग =किला ,स्तंभ , शप्तशती अर्थात सात सौ। जिस ग्रन्थ को सात सौ श्लोकों में समाहित किया गया हो उसका नाम शप्तशती है। जो कोई भी इस ग्रन्थ का अवलोकन एवं पाठ करेगा “मां जगदम्बा” की उसके ऊपर असीम कृपा होगी।

वहीं दुर्गा द्वादशन्नि माला का पाठ भी सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति देता है।

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दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय रखें इन 9 बातों का ध्यान...

दुर्गा सप्‍तशती का पाठ वैसे तो कई घरों में रोजाना किया जाता है। मगर नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करना विशेष और जल्दी फलदायक माना गया है। नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करने से अन्‍न, धन, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है। लेकिन पाठ की सफलता और पूर्ण लाभ के लिए पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए…

1. स्पष्‍ट होना चाहिए उच्‍चारण...
दुर्गा सप्तशती के पाठ में सस्वर और एक लय से पाठ करने का महत्व है। सप्तशती में बताया गया है कि पाठ इस तरह से करना चाहिए कि एक-एक शब्द का उच्चारण साफ हो और आप उसे सुन सकें। बहुत जोर से या धीमे से पाठ ना करें।


2. शुद्धता है बहुत जरूरी...
पाठ करते समय हाथों से पैर का स्पर्श नहीं करना चाहिए, अगर पैर को स्पर्श करते हैं तो हाथों को जल से धो लें।

3. ऐसे आसन का करें प्रयोग...
पाठ करने के लिए कुश का आसन प्रयोग करना चाहिए। अगर यह उपलब्ध नहीं हो तब ऊनी चादर या ऊनी कंबल का प्रयोग कर सकते हैं।

4. ऐसे वस्‍त्र करें धारण...
पाठ करते समय बिना सिले हुए वस्त्रों को धारण करना चाहिए, पुरुष इसके लिए धोती और महिलाएं साड़ी पहन सकती हैं।

5. मन एकाग्रचित होना जरूरी...
दुर्गा पाठ करते समय जम्हाई नहीं लेनी चाहिए। पाठ करते समय आलस भी नहीं करना चाहिए। मन को पूरी तरह देवी में केन्द्रित करने का प्रयास करना चाहिए।

6.इस प्रकार करना चाहिए पाठ...
दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र यानी तीन खंड हैं प्रथम चरित्र, मध्य चरित्र, उत्तम चरित्र। प्रथम चरित्र में पहला अध्याय आता है। मध्यम चरित्र में दूसरे से चौथा अध्याय और उत्तम चरित्र में 5 से लेकर 13 अध्याय आता है। पाठ करने वाले को पाठ करते समय कम से कम किसी एक चरित्र का पूरा पाठ करना चाहिए। एक बार में तीनों चरित्र का पाठ उत्तम माना गया है।

7. ऐसा करने से मिलता है पूर्ण फल...
सप्तशती के तीनों चरित्र का पाठ करने से पहले कवच, कीलक और अर्गलास्तोत्र, नवार्ण मंत्र, और देवी सूक्त का पाठ करना करना चाहिए। इससे पाठ का पूर्ण फल मिलता है।

8. कुंजिकास्तोत्र का पाठ...
अगर संपूर्ण पाठ करने के लिए किसी दिन समय नहीं तो कुंजिकास्तोत्र का पाठ करके देवी से प्रार्थना करें कि वह आपकी पूजा स्वीकार करें।

9. देवी मां से क्षमा प्रार्थना...
सप्तशती पाठ समाप्त करने के बाद अंत में क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए और देवी से पाठ के दौरान कोई कोई भूल हुई हो तो उसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

तांत्रिक मंत्र! जो करते हैं ये...

1. शीघ्र विवाह के लिए।

क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।

2. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला पर।

ओंम ऐं हृी क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

3. परेशानियों के अन्त के लिए।

क्लीं हृीं ऐं चामुण्डायै विच्चे।

नवरात्रि में ऐसे करें मां सरस्वती को प्रसन्न
नवरात्रि में राशि के अनुसार मंत्र जपने से मां शारदा सुख, संपत्ति, विद्या, बुद्धि, यश, कीर्ति, पराक्रम, प्रतिभा और विलक्षण वाणी का आशीष प्रदान करती है। इन सबकी प्राप्ति के लिए राशि अनुसार मंत्र का जाप करना चाहिए, तो आइए जानते हैं राशि के अनुसार सरस्वती मंत्र...

1- मेष- ऊँ वाग्देवी वागीश्वरी नम:।
2- वृषभ- ऊँ कौमुदी ज्ञानदायनी नम:।
3- मिथुन- ऊँ मां भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नम:।
4- कर्क- ऊँ मां चन्द्रिका दैव्यै नम:।
5- सिंह- ऊँ मां कमलहास विकासिनि नम:।
6- कन्या- ऊँ मां प्रणवनाद विकासिनि नम:।
7- तुला- ऊँ मां हंससुवाहिनी नम:।
8- वृश्चिक- ऊँ शारदै दैव्यै चंद्रकांति नम:।
9- धनु- ऊँ जगती वीणावादिनी नम:।
10- मकर- ऊँ बुद्धिदात्री सुधामूर्ति नम:।
11- कुंभ- ऊँ ज्ञानप्रकाशिनि ब्रह्मचारिणी नम:।
12- मीन- ऊँ वरदायिनी मां भारती नम:।



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