भारतीय हिंदू धर्म में पेड़-पौधे, नदियों से लेकर पशु-पक्षियों तक को ईश्वर का स्वरूप मानकर पूजा अर्चना की जाती है। गाय को तो माता के समान सम्मान देते हुए माता रूप में पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है की गाय के शरीर में तैतीस कोटी देवी-देवताओं का वास होता है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से एक माह या 11 दिनों तक गाय के शरीर पर सुबह-शाम हाथ फेरकर 7 परिक्रमा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
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पूजनीय गाय माता की महिमा का गान करते हुए हमारे धर्म शास्त्र-ग्रंथ, ऋषि, संत महात्मा एवं अनेक महापुरुष महात्माओं नें अपने अपने शब्दों में अद्भूत बखान किया है-
1- भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवतगीता ग्रंथ में कहा है ‘धेनुनामसिम’ मैं गायों में कामधेनु हूं।
2- स्वामी विवेकानंद ने कहा है, गाय की परिक्रमा करने से संपूर्ण ब्रह्माण्ड की परिक्रमा का पुण्यफल स्वतः ही मिल जाता है।
3- बाल गंगाधर तिलक ने कहा था, चाहे मुझे मार डालो पर गाय पर हाथ न उठाऊंगा।
4- गुरु गोबिंद सिंह कहते है कि- ‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटआऊं।
5- याग्यवल्क कहते है- गाय के घी से हवन करने पर वातावरण की मलिनता खत्म हो जाती है।
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6- ईसा मसीहा ने कहा हैं कि- एक गाय को मारना, एक मनुष्य को मारने के के पाप से ज्यादा महापाप है।
7- मुस्लिम संत रसखान ने कहा हैं कि- यदि ईश्वर मुझे दोबारा धरती पर जन्म दे तो में पशु के रूप गायों के गर्भ से जन्म लूं।
8- भगवान शिव की सबसे प्रिय श्री सम्पन्न ‘बिल्वपत्र’ की उत्पत्ति गाय के गोबर से ही हुई थी।
9- स्कन्द पुराण में कहा गया है- ‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय है’।
10- महर्षि अरविंद ने कहा था की- ‘गौ’ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है, इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है।
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