प्रतिवर्ष आने वाला यह गुड़ीपड़वा पर्व फिर आया। बधाइयां लाया, पर हम तो वहीं हैं जहां कल खड़े थे। समय बदल गया,कैलेंडर बदल गया, हम नहीं बदले। बधाई दे देना, नव वर्ष शुभ हो कहने भर से खुशियां कभी नहीं बरसतीं। नया बनना होगा, नया भाव जगाना होगा।
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