ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह माना गया है। वहीं राहु व केतु की तरह ही इसे भी दुख का कारक माना जाता है। वहीं सनातन धर्म के अनुसार शनि को सूर्य का पुत्र व एक देवता माना गया है। जबकि ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना गया है। यह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है।
पंडित सुनील शर्मा की मानें तो नौ ग्रहों में शनि का एक अलग व खास स्थान होता है। शनि को संतुलन, सीमा व न्याय का ग्रह भी कहा जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है जहां सूर्य का प्रभाव समाप्त होता है, वहीं से शनि का प्रभाव शुरू होता है। शनि हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर डालते हैं। जहां एक ओर अच्छाई का साथ देने वाले व ईमानदार व्यक्ति पर शनि की कृपा बरसती है। वहीं बुरे कर्म करने वाले लोगों पर शनि की टेढ़ी नज़र भी पड़ सकती है, क्योंकि सभी ग्रहों में सबसे ताकतवर दृष्टि शनि ग्रह की ही मानी गई है।
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
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शनि की खासियत:
ज्योतिष में शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना जाता है, परंतु यह पीड़ित होने पर ही जातकों को नकारात्मक फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च हो तो वह उसे रंक से राज बना सकता है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है।
इसके अलावा आपने कई लोगों से सुना भी होगा कि उनको शनि की साढ़ेसाती चल रही है। या उनकी कुंडली में शनि भारी है, जिसके कारण उन्हें जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तो यदि आपकी कुंडली में भी शनि दोष है। या शनि भारी है तो आप कुछ आसान तरीकों का इस्तेमाल करके इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
शनि दोष क्या होता है?
जातक की कुंडली में होने वाले शनि दोष का मतलब होता है कि यदि किसी जातक की कुंडली में शनि ऐसी जगह पर विराजमान हो, जहां वह जातक के लिए कष्टदायक व नुकसानदायक हो। शनि धीमी चाल से चलते हैं, इसीलिए इनका प्रभाव भी जातक पर लम्बे समय के लिए रहता हैं।
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जैसे की शनि की साढ़ेसाती (साढ़े सात साल), शनि की ढैय्या (ढाई साल) आदि। वहीं शनि दोष का प्रभाव इतना बुरा होता है कि आसमान पर बैठा व्यक्ति जमीन पर आ जाता है। इसीलिए शनि को क्रूर व् दुष्ट ग्रह भी माना जाता है। लेकिन असल में यह लोगो को केवल उनके बुरे कर्मों के लिए ही दण्डित करते हैं और प्रसन्न होने पर जातक को आसमान की बुलंदियों पर भी पहुंचा सकते हैं।
कुंडली में होने वाले शनि दोष से बचने के उपाय...
यदि आप भी कुंडली में शनि दोष से परेशान हैं, तो कुछ आसान तरीकों का इस्तेमाल करके आप इस परेशानी से निजात पा सकते हैं।
शनिदेव को प्रसन्न करें यह उपाय...
कोई भी अनुचित कार्य न करें, चूकिं शनि को न्याय का देवता माना जाता है। अत: यदि आप किसी प्रकार के बुरे कर्मों में शामिल नहीं होते हैं, तो माना जाता है कि शनि अपनी दशा आने पर भी ऐसे लोगों पर न्याय के अनुसार दया बरसाते हैं, न कि कोई दंड देते हैं।
इसके अतिरिक्त यदि आपकी कुंडली में ही शनि परेशानी के कारक हैं, या शनि की दशा आपको काफी परेशान कर रही है तो इससे बचने के लिए...
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शनिवार को करें ये उपाय...
: प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर में जाएं।
: शनि जी की उपासना करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
: शनिवार के दिन राई, तेल, उड़द, काला कपड़ा, जूते आदि का दान करना चाहिए।
: लोहे की चीजें शनिवार को न खरीदें।
: शनि मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
: शनिवार के दिन कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखें और उस तेल को दान करें।
: शनिवार के दिन अपनी गलतियों के लिए शनिदेव से माफ़ी मांगे।
: इसके साथ ही शनि के रत्न नीलम को कभी भी किसी जानकार के कहे बिना धारण न करें, यदि कोई जानकार नीलम धारण करने की सलाह भी दे तो भी उनसे पूरी विधि के साथ ही धारण करने का समय, दिन व किन मंत्रों के साथ धारण करनी है, ये पूरी तरह से समझ कर ही इसे पहनें।
हनुमान जी की अराधना
शनिवार के दिन आपको हनुमान मंदिर में जाना चाहिए और हनुमान जी के सामने लाल रंग के कपडे पहनकर खड़े होना चाहिए। हाथ जोड़कर हनुमान जी की अराधना करें व हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा हर शनिवार को करें ऐसा करने से भी कुंडली में शनि दोष को खत्म करने में मदद मिलती है।
शनि दोष को कम करने के लिए करें पीपल की पूजा
पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। खासकर शनिवार के दिन ऐसा जरूर करें। पीपल के साथ शमी के पेड़ की भी पूजा करें। यह दोनों उपाय शनि दोष के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं।
शिव उपासना: देती है शनि के प्रकोप से राहत
नियमित रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। भोलेबाबा की अराधना करें। शिव मंत्रों का उच्चारण करें। ऐसा करने से भी जातक को कुंडली में शनि की दशा को सही करने में मदद मिलती है।
पश्चिम दिशा में करें यह उपाय
नियमित शाम के समय पश्चिम दिशा की और एक दीपक जरूर जलाएं। और उसके बाद शनि मंत्रो का उच्चारण करें। इससे भी आप पर शनि की कृपा बने रहने में मदद मिलती है।
कौवे को रोटी
नियमित कौवे को रोटी खिलाएं। चीटियों को आटा खिलाएं। दरवाज़े पर आये गरीब को भूखे पेट न भेजें। यह सभी कर्म भी शनि दोष को कम करने में मदद करते हैं।
शनि की कृपा पाने के अन्य उपाय-
: कभी भी झूठ व बुराई का साथ नहीं देना चाहिए।
: हमेशा सच्चाई व् ईमानदारी के रास्ते पर चलना चाहिए।
: बुजुर्गों का हमेशा सम्मान करना चाहिए।
: तुलसी में जल चढ़ाएं, दीपक जलाएं।
: पीपल को जल दें, दीपक जलाएं, खासकर शनिवार को।
: अहंकार घमंड न करें हमेशा सबके साथ विनम्र रहें।
: गर्भपात न करवाएं।
: स्त्रियों का सम्मान करें।
: हरियाली कम न करें यानी की पेड़ो को न काटें न कटवाएं।
: सुबह समय से उठें और नियमित शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
: ॐ शं शनैश्चराय नमः, यह शनि का मूल मंत्र है इसका जाप जरूर करें।
: दान धर्म के काम करते रहें।
: फलदार और लम्बी अवधि तक रहने वाले पेड़ लगाएं।
: बुरी चीजों से दूर रहें।
: नीले रंग का अधिक इस्तेमाल करें जैसे की कपडे नीले रंग के अधिक पहनें, आदि।
शनि क्रूर क्यों?
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार दरअसल शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, ऐसे में वे किसी भी प्रकार से किए गए बुरे कर्म का दंड देते हैं। चूकिं वे न्याय के देवता हैं अत: किसी भी स्थिति में वे किसी को क्षमा नहीं करते, ऐसे में उनके दंड जो परिणाम सामने आते हैं, उसी कारण इन्हें क्रूर माना जाता है। दरअसल यदि आपने गलती की है, तो तमाम क्षमा याचनाओं के बावजूद शनिदेव आपने न्याय के मामलों में रहम नहीं करते हैं और इसका दंड अवश्य ही भोगना पड़ता है।
वहीं न्याय के देवता होने के चलते यदि किसी ने अनाचार, दुराचार या कोई गलत कार्य नहीं किया है, तो वे शनि की सबसे कठोर साढ़े साती की दशा आने पर भी ऐसे व्यक्ति को दंड न देकर उस पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं।
शनि का जीवन पर प्रभाव...
ज्योतिष में शनि ग्रह को लेकर कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि ग्रह लग्न भाव में होता है, उसे सामान्यतः अनुकूल नहीं माना जाता है। लग्न भाव में शनि जातक को आलसी, सुस्त और हीन मानसिकता का बनाता है। इसके कारण व्यक्ति का शरीर व बाल खुश्क होते हैं। शरीर का वर्ण काला होता है। हालांकि व्यक्ति गुणवान होता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति एकान्त में रहना पसंद करेगा।
ज्योतिष में शनि मजबूत हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि तुला राशि में शनि उच्च का होता है। यहां शनि के उच्च होने से मतलब उसके बलवान होने से है।
इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। यह व्यक्ति को धैर्यवान बनाता है और जीवन में स्थिरता बनाए रखता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति की उम्र में वृद्धि होती है।
वहीं पीड़ित या नीच का शनि व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों को पैदा करता है। यदि शनि मंगल ग्रह से पीड़ित हो तो यह जातकों के लिए दुर्घटना और कारावास जैसी परिस्थितियों का योग बनाता है। इस दौरान जातकों को शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनि के उपाय करना चाहिए।
ये देता है रोग - ज्योतिष में शनि ग्रह को कैंसर, पैरालाइसिस, जुक़ाम, अस्थमा, चर्म रोग, फ्रैक्चर आदि बीमारियों का जिम्मेदार माना जाता है।
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