राम भक्त श्री हनुमान जी को माता सीता जी ने अजर अमर होने के साथ अष्ट सिद्ध एवं नौ निधियों के स्वामी होने का आशीर्वाद दिया था। तभी से जो भी भक्त हनुमान जी की आराधना करता है उनको भी हनुमान जी की कृपा से सभी मनोकामना पूरी होने लगती है। जानें हनुमान जी की नौ निधियां कौन-कौन सी है।
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जब भी कोई भक्त अपनी समस्या से मुक्ति की कामना से जाता है तो हनुमान जी प्रसन्न होकर हनुमान जी अपनी शरण में आने वालों को इन नौ निधियों की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
1- पद्मनिधि- पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।
2- महापद्म निधि- महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।
3- नील निधि- निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेजसे संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
4- मुकुंद निधि- मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।
5- नन्द निधि- नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।
6- मकर निधि- मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है।
7. कच्छप निधि- कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
8- शंख निधि- शंख निधि एक पीढी के लिए होती है।
9- खर्व निधि- खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रीत फल दिखाई देते हैं।
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उपरोक्त नौ निधियों के अलावा भागवत पुराण में भगवान कृष्ण ने दस गौण सिद्धियों का वर्णन और किया है जो इस प्रकार है-
1- अनूर्मिमत्वम्
2- दूरश्रवण
3- दूरदर्शनम्
4- मनोजवः
5- कामरूपम्
6- परकायाप्रवेशनम्
7- स्वछन्द मृत्युः
8- देवानां सह क्रीडा अनुदर्शनम्
9- यथासंकल्पसंसिद्धिः
10- आज्ञा अप्रतिहता गतिः
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