अंग्रेजी कलेंडर से अलग हिंदी कलेंडर में नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है। इसी तरह हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में आने वाले हर माह का अपना अलग महत्व है। इन्हीं में से एक होता है ज्येष्ठ माह, जिसका खास महत्व माना जाता है।
यह ज्येष्ठ माह इस बार यानि अंग्रेेजी साल 2020 में 05 जून को समाप्त होने वाला है, वहीं इस दिन चंद्रग्रहण भी पड़ेगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह हिंदू पंचांग का तीसरा माह, एक ओर जहां इसके बाद आषाढ़ माह की शुरूआत हो जाती है। तो वहीं इस बार 25 मई से नौतपा शुरू हो चुका है, जो 2 जून यानि निर्जला एकादशी तक रहेगा। नौतपा के बारे में कहा जाता है इस समय गर्मीं अपनी चर्म सीमा पर पहुंच जाती है।
ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से ही नौतपा की शुरुआत होती है। जिस समय में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होते हैं उस समय चन्द्र नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं, यही कारण है कि इसे नौतपा कहा जाता है। लेकिन इस बार सूर्य का रोहिणी में परिभ्रमण 7 जून तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं, परंतु इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं।
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पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस बार की ज्योतिष गणना के मुताबिक गुरु व शनि की वक्री चाल के चलते नौतपा खूब तपेगा, लेकिन 30 मई को शुक्र अपनी ही राशि वृषभ में अस्त हो रहा है, जिसके कारण गर्मी में कमी आ सकती है। साथ ही इसके कारण नौतपा के आखिरी दो दिनों के भीतर आंधी तूफान व बारिश हो सकती है।
इसका कारण यह है कि शुक्रदेव रस प्रधान हैं, जो सूर्य के ताप को कम करेंगे। पंडित शर्मा के मुताबिक इस बार के नौतपा में 31 मई को शुक्र ग्रह के तारे का अस्त हो रहा है। इससे बारिश की संभावना है, यह तारा 9 जून को उदय होगा। इस पूरी प्रोसेस से वर्षा चक्र तैयार होता है।
नौतपा में धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
नौतपा: पौराणिक महत्व
मान्यता के अनुसार, नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। सनातन सस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है।
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ऐसे में ज्येष्ठ माह के आखिरी के इन दिनों में क्या करना चाहिए इसके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं ज्येष्ठ माह के इन दिनों में कौन सा काम करके आप पूरे माह का फल प्राप्त कर सकते हैं।
यह करें इन दिनों...
नौतपा के इन 9 दिनों में भीषण गर्मी होती है, ऐसे ज्योतिष के अनुसार भी इस दौरान जितना संभव हो इस दौरान जल का दान करना चाहिए। क्योंकि अधिक गर्मी की वजह से पानी का काफ़ी समस्या देखने को मिलती है, ऐसे में उन लोगों तक पानी ज़रूर पहुंचाना चाहिए, जिन्हें गरीबी की वजह से खाने व पीने को पानी तक बमुश्किल मिलता है। ऐसा करने से समस्त प्रकार के देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
इसके अलावा इस दौरान घरों की छतों पर या घरों के बाहर पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी ज़रूर रखें। कहा जाता है ज्येष्ठ माह में गर्मी के कारण तमाम छोटे-मोटे नदी-तालाब सूखने लगते हैं जिस वजह से पशु- पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता है। माना जाता है कि पक्षियों को दाना-पानी देने से कुंडली के ग्रहों की दशा-दिशा में सुधार आता है।
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यूं तो सूर्य देव को रोज़ाना ही जल अर्पित करना चाहिए, परंतु इस माह में इस शुभ कार्य को करने का अधिक विधान है। इसलिए प्रयास करें ज्येष्ठ माह के बाकि के बचे दिनों में प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। तो वहीं इस महीने में ज़रूरत से अधिक जल का उपयोग नहीं करना चाहिए यानि इसका अपव्यय नहीं करना चाहिए।
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