सनातन धर्मावलंबियों में देवगुरु बृहस्पति का दिन बृहस्पति अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। ऐसे में देवों के गुरु बृहस्पति को प्रसन्न रखने के लिए कई भक्त व्रत आदि रखते हैं। वहीं इस दिन नाखून काटना, बाल कटवाना या इस तरह के कई कार्यों को वर्जित माना गया है।
हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार बृहस्पतिवार धर्म का दिन होता है इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन की ख़ास अहमियत है। मान्यता है कि गुरु बृहस्पति की कृपा लोगों को हर मुश्किल से बचा लेती है इसलिए बृहस्पतिवार को व्रत रखकर देव गुरु को प्रसन्न रखने की कोशिश की जाती है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार हिंदू ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बृहस्पति एक मजबूत ग्रह है और इंसान का भाग्य बनाने में इसका अहम हाथ होता है। ऐसे में देवगुरु को प्रसन्न करने के लिए कई लोग बृहस्पतिवार के व्रत को करना बहुत जरुरी मानते हैं। ऐसे में आज हम आपको बृहस्पतिवार के व्रत के महत्व सहित इसमें पूजा की विधि और उद्यापन का तरीका बता रहे हैं।
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बृहस्पतिवार व्रत की विधि
बृहस्पतिवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और हो सके तो इस दिन पीले कपड़े पहनें। इस दिन विष्णु मंदिर में जाकर पूजा करें और पूजन के लिए पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी आदि का प्रयोग करें। इस व्रत में केले के पेड़ की पूजा करें और केले के पेड़ की जड़ में दाल चढ़ाएं।
इसके बाद दिया जलाकर केले के पेड़ की पूजा करें। अगर संभव हो तो केले के पेड़ के पास बैठकर ही व्रत कथा का पाठ करें। इस व्रत में नमक का इस्तेमाल न करें और हो सके तो शाम की आरती के बाद पीले पकवानों का ही सेवन करें।
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बृहस्पति व्रत की पूजा सामग्री
वैसे हर व्रत में लगभग एक जैसी पूजा सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस व्रत की बात थोड़ी अलग है क्योंकि इसमें पीली वस्तुओं का उपयोग ज्यादा से ज्यादा किया जाता है। इस व्रत में इस्तेमाल की जाने वाली पूजा सामग्री नीचे दी गई हैं।
: पीले रंग के फूल
: गंगा जल या शुद्ध जल
: बृहस्पति यंत्र
: तांबे की प्लेट और लौटा
: रूई
: पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही,घी,शहद एवं शर्करा मिला हुआ)
: पीले रंग के फल
: सुखी मिठाईयां
: लकड़ी का आसान
: अगरबत्ती, दिया
इस पूजा सामग्री से भगवान विष्णु व केले के पेड़ की पूजा करें।
बृहस्पतिवार व्रत का उद्यापन
आपने जितने बृहस्पतिवार के व्रतों का संकल्प लिया है उनकी समाप्ति के बाद आपको उद्यापन करना चाहिए और दान करना चाहिए।
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ऐसे करें उद्यापन
: सुबह के जरुरी काम समाप्त करके स्नान कर लें।
: पीले वस्त्र धारण करें।
: पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा लगाएं।
: केले के पेड़ को एक गमले में लगाकर उसे पूजा की जगह पर रखें।
: गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, फल, दक्षिणा, पान, फूल, आदि विष्णु भगवान को अर्पित करें।
: पूजा की समाप्ति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा अथवा गौ दान करें।
बृहस्पति के व्रत का महत्व
बृहस्पति देव को देव गुरु भी कहा जाता है और यह माना जाता है कि, देव गुरु जिस पर प्रसन्न होते हैं उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं इसलिए बृहस्पतिवार के व्रत का बड़ा महत्व है। जो भी लोग बृहस्पतिवार को व्रत रखते हैं उन्हें धन-धान्य और यश की प्राप्ति होती है।
मान्यता के अनुसार इस व्रत से निःसंतान दम्पत्तियों को इस व्रत का पालन करने से संतान की प्राप्ति होती है। विद्यार्थियों के लिए भी बृहस्पतिवार का व्रत रखना बहुत अच्छा होता है क्योंकि ऐसा करने से उनकी एकाग्रता बढ़ती है और परीक्षा में भी अच्छे परिणाम मिलते हैं।
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