हमारी ये गलतियां करती हैं पितरों को नाराज, इन आसान तरीकों से प्रसन्न कर पितरों से पाएं आशीर्वाद

पितृपक्ष यानि वह समय जब व्यक्ति द्वारा अपने पूर्वजों यानि पितरों Pitru का आह्वान किया जाता है कि वे पूजकों (वंशजों) को धन, समृद्धि एवं शक्ति प्रदान करें। पितृपक्ष में सनातन धर्म के लोग अपने पितरों की पूजा-अर्चना और पिंडदान Shraddha Karma Vidhi करते हैं। इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 17 सितंबर तक चलेंगे।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार वहीं पितरों को आराधना में लिखी ऋग्वेद की एक लंबी ऋचा (10-14-1) में यम तथा वरुण का भी उल्लेख मिलता है। पितरों का विभाजन वर, अवर और मध्यम वर्गों में किया गया है। माना जाता है कि इस वर्गीकरण का आधार मृत्युक्रम में पितृविशेष का स्थान रहा होगा। इसके अलावा ऋग्वेद (10-15) के द्वितीय छंद में स्पष्ट उल्लेख है कि सर्वप्रथम और अंतिम दिवंगत पितृ और अंतरिक्षवासी पितृ श्रद्धेय हैं।

इसके अलावा कुछ जगहों में ऐसे तीन विभिन्न लोकों अथवा कार्यक्षेत्रों का विवरण प्राप्त होता है, जिनसे होकर मृतात्मा की यात्रा पूर्ण होती है। ऋग्वेद (10-16) में अग्नि से अनुनय है कि वह मृतकों को पितृलोक PitruLok तक पहुंचाने में सहायक हो। अग्नि से ही प्रार्थना की जाती है कि वह वंशजों के दान पितृगणों तक पहुंचाकर मृतात्मा को भीषण रूप में भटकने से रक्षा करें।

वहीं ऐतरेय ब्राह्मण में अग्नि का उल्लेख उस रज्जु के रूप में किया गया है जिसकी सहायता से मनुष्य स्वर्ग तक पहुंचता है। स्वर्ग के आवास में पितृ चिंतारहित हो परम शक्तिमान् और आनंदमय रूप धारण करते हैं। वहीं पृथ्वी पर उनके वंशज सुख समृद्धि की प्राप्ति के के लिए पिंडदान देते और पूजापाठ करते हैं।

पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किए जाते हैं। इसलिए इस पूजा को विधि-पूर्वक किया जाता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान की पूजा में किसी भी तरह की लापरवाही से पितर नाराज हो जाते हैं, यहां तक की माना जाता है वे कई बार अत्यधिक नाराज होने पर श्राप तक दे देते हैं। इसलिए इसको करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना गया है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान आपको कौन सी चीजें ध्यान में रखनी चाहिए, जिससे आपकी पूजा बिना किसी गलती के पूरी हो सके…

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पितृपक्ष में क्या न करें : THINGS NOT TO DO ON PITRA PAKSHA

: श्राद्ध कर्म Shraddha Karma के दौरान भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में लोहे के बर्तन के प्रयोग करने से परिवार पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृपक्ष में लोहे के अलावा तांबा, पीतल या अन्य धातु से बनें बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

: पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं, तो उस दिन शरीर पर तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए और ना ही पान खाना चाहिए। इसके साथ ही दूसरे के घर का खाना पितृपक्ष में वर्जित बताया है और इत्र का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

: पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पूर्वजों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शुद्धि के लिए पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान परिवार में एकतरह से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, साथ ही नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ माना गया है।

: पितृपक्ष के दौरान भिखारी या फिर किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराएं नहीं जाने देना चाहिए। इसके साथ ही पशु-पक्षी जैसे कुत्ते, बिल्ली, कौवा आदि का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसरा, पूर्वज इस दौरान किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं।

पुरुष यह बातें भी रखें ध्यान ...
: पितृपक्ष में जो पुरुष अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें दाढ़ी और बाल नहीं कटवाना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान दाढ़ी और बाल कटवाने से धन की हानि होती है क्योंकि यह शोक का समय माना जाता है।

: पितृपक्ष में घर पर बनाए गए सात्विक भोजन से ही पितरों को भोग लगाना उत्तम माना गया है। अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो उस दिन पिंडदान भी करना चाहिए। अन्यथा पितृपक्ष के आखिरी दिन भी पिंडदान अथवा तर्पण विधि से पूजा कर सकते हैं।

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अपने पितरों को ऐसे करें प्रसन्न : How to get blessings of PITRAs
पितृपक्ष को लेकर यह भी मान्‍यता है क‍ि अगर इस समय पितरों को प्रसन्‍न कर लिया जाए तो घर-परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। इसके अलावा जातक और उसके परिवार पर कोई भी बुरा साया या फिर दु:ख-तकलीफ नहीं आती।

: मान्‍यता है क‍ि पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को यद‍ि न‍ियम‍ित रूप से भोजन कराया जाए तो भी प‍ितर प्रसन्‍न होते हैं। इसके अलावा अगर घर हो या कार्यक्षेत्र, दोनों ही जगहों पर पितरों की हंसती-मुस्‍कुराती हुई तस्‍वीर लगानी चाहिए।

: पितरों को खुश करने के लिए जातक को अपने घर की दक्षिण-पश्चिम की दीवार या कोने में अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाएं।साथ ही अपने दिन की शुरुआत करते समय सबसे पहले पितरों की तस्‍वीर को प्रणाम करें। उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ खुश होने लगते हैं।

: प‍ितृ पक्ष में कौओं को खाना जरूर ख‍िलाएं। इसके अलावा कभी भी पितरों की जयंती और बरसी मनाना न भूलें। इस दिन घर पर कोई न कोई पूजा जरूर रखें।

: पितृ पक्ष के दौरान ही अपने प‍ितरों के नाम पर शमशान में बैठने की व्‍यवस्‍था करवाएं। आप चाहें तो कोई चबूतरा बनवा सकते हैं। या अगर कोई ऐसा बैठने का स्‍थान हो जहां पर शेड न हो तो आप उस स्‍थान के ऊपर शेड डलवा सकते हैं। ऐसा करने से भी प‍ितरों को प्रसन्‍नता होती है और वह पर‍िवारीजनों को खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।

: इसके अलावा पितरों को प्रसन्‍न करने के लिए जरूरतमंदों को उनकी जरूरत के अनुसार वस्‍तुएं दान करें। कहते हैं क‍ि इससे उनकी आत्‍मा को शांत‍ि म‍िलती है और उनकी खुशी से जातक के जीवन में भी खुश‍ियां आती हैं।



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